Essay on Seasons in Hindi Language ऋतुओं का देश भारत पर निबंध

Know information about Rituo Ka Desh Bharat in Hindi language or essay on seasons in Hindi language. Paragraph on rituo ka desh bharat in Hindi and essay on Seasons in Hindi language. ऋतुओं का देश भारत पर निबंध।

Essay on Seasons in Hindi Language

Rituo Ka Desh Bharat

Essay on Seasons in Hindi Language

ऋतुओं का देश भारत

महाकवि सुमित्रानंदन पंत ने एक स्थान पर लिखा है: ‘पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश।’ अर्थात् प्रकृति पल-पल अपने भेष को, अपने रूप-रंग को परिवर्तित करती है। यह बात भारत के संदर्भ में जितनी सटीक और वास्तविक कही जा सकती है उतनी अन्य किसी देश के बारें में कदापि नहीं कही जा सकती। भारत जिस प्रकार मानवीय-विविधताओं और अनेकताओं का देश है उसी प्रकार यह प्राकृतिक विविधता का भी देश है। भारत में जितनी ऋतुएं पाई जाती हैं उतनी ऋतुएं किसी अन्य देश में नहीं पाई जाती। हमारे यहाँ प्रमुखतः छः ऋतुओं का क्रमवार संचरण होता रहता है। यथा ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर और वसंत। ये ही छ: ऋतुएँ भारत-भूमि को क्रमवार रूप से आनन्दित और आप्लावित करती रहती हैं।

ग्रीष्म की ऋतु अत्यधिक पीड़ादायक ऋतु आती है। इस ऋतु में सूर्य अपना विकराल रूप दिखाता है। किन्तु भारत की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि जब एक भू-क्षेत्र ग्रीष्म की तपन से त्रस्त होता है तब इसका दूसरा भू-क्षेत्र शीतल वातावरण लिए होता है। एक तरफ अगर बारिस का मौसम होता है तो दूसरी ओर राजस्थान जैसा क्षेत्र एक बूंद बारिस के लिए तरसता होता है। भारत भौगोलिक रूप से एक विविधता पूर्ण क्षेत्र है। ग्रीष्म को एक दारुण ऋतु माना गया है। इस ऋतु में गर्मी तेज पड़ती है। लू अत्यंत तीव्रता से चलती है। लोग छांव की तलाश करते हुए सहज ही दिखलायी पड़ते हैं। किन्तु इस ऋतु का भी अपना एक आनंद होता है। यह बात सर्वविदित है कि ग्रीष्म ऋतु कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ऋतु होती है। इस ऋतु में शाम के समय लोग नाना प्रकार से अपना मनोरंजन करते हैं। इस ऋतु के दौरान दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं।

ग्रीष्म के बाद वर्षा ऋतु आती है। यह अत्यंत अलादकारी ऋतु है। ग्रीष्म काल में भारी तपन और गर्मी चलने के बाद आदमी को बारिस की मोहक फुहारें मोह लेती हैं। प्यासी धरती की प्यास भी शांत होती है। जीवों को मानों नया जीवन ही प्राप्त हो जाता है। सारी धरती चहुं ओर जल से आप्लावित हो जाती है। नदी, नाले, तालाब और पोखर आदि जलमग्न हो जाते हैं। यह ऋतु कवियों की सबसे ज्यादा मनपसंद ऋतु रही है। इस ऋतु का व्यापक और मोहक चित्रण हमारे साहित्य में हुआ है।

“गरजत लागत परम सुहाए,
बरषा काल मेघ नभ छाए।”

‘निराला’ छायावाद के एक अति प्रतिष्ठित रचनाकार रहे हैं। उन्होंने बादलों का जितना विस्तृत और व्यापक चित्रण अपने साहित्य में किया है उतना हिन्दी के किसी दूसरे कवि ने संभवत: नहीं किया। हालाँकि अनेक कविताएं पंत ने भी लिखी है:

“पावस ऋतु की पर्वत प्रदेश,
पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश।”

वर्षा के बाद शरद और शरद के बाद हेमन्त ऋतु का आगमान होता है। हेमन्त ऋतु से ही सर्दी का आरम्भ हो जाता है। इसके बाद शिशिर ऋतु आती है। इस ऋतु में सर्दी अपना पूरा वेग ग्रहण कर लेती है। इसके बाद वसंत आता है। वसंत को सौन्दर्य की ऋतु’ भी कहा जाता है।

भारत में ऋतुओं का अत्यधिक महत्व स्वीकारा गया है। ऋतुएं यहाँ निवास करने वाले मनुष्यों के जीवन का अनिवार्य अंग बन गयीं हैं। उनके जीवन के अनेकानेक कार्यकलाप मूलत: ऋतुओं से संबंधित और उन पर अवलम्बित होते हैं। शादी-विवाह, तीज-त्योहार, मेलेहार, हास-परिहास, गीत-संगीत, नाटक और कला साहित्य आदि मानव-जीवन के प्राय: सभी अंग इन्हीं ऋतुओं में डूबे हुए दिखलायी पड़ते हैं।

आदि काव्य रामायण में भी भारत की इस भौगोलिक विशिष्टता और महत्ता के दर्शन हमें सहज रूप से होते हैं। वेदों में भी हमें विभिन्न प्रसंगों में ऋतु वर्णन के अनेकानेक संकेत प्राप्त होते हैं। हम भारतीय लोगों के जीवन में ऋतुओं की भूमिका और इनकी उपस्थिति कितनी महत्वपूर्ण है, इसका संकेत इसी से प्राप्त हो जाता है कि साहित्य में हमारे यहाँ ‘ऋतुवर्णन’ की एक अत्यधिक प्रख्यात परिपाटी और काव्य-रूढ़ि ही रही है।

Essay on Basant Ritu in Hindi

Grishma Ritu in Hindi

Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *