What is VAT in Hindi वैट क्या है

Read an article on what is VAT in Hindi language for students and businessman. Full form of VAT is Value Added Tax. Most people as what is VAT in Hindi and GST in Hindi. Today we are going to explain VAT in Hindi. वैट क्या है।

hindiinhindi What is VAT in Hindi

What is VAT in Hindi

वैट: कर प्रणाली की नई खोज

आज का समय प्रधानत: व्यापार और बाजार का समय है। संगठित और असंगठित, दोनों व्यापारिक क्षेत्रों में असीमित विकास हाल के वर्षों में देखने को मिल रहा है। इससे न केवल विकास कार्यों को नया रूप मिला है अपितु राष्ट्रीय विकास के स्तर भी ऊंचा उठा है। व्यापारिक क्षेत्र का इतना अपरिमित विकास होने पर भी, हमने कर-प्रणालियों को नवीन रूप देने की चेष्टा भी नहीं की थी, जिससे एक प्रकार की अव्यवस्था निर्मित हो गयी थी। इस विकट स्थिति से उबरने के लिए विशेषज्ञों ने वैट-कर-प्रणाली प्रस्तावित की। यह एक नयी और अत्याधुनिक कर प्रणाली है, जिससे व्यापार और व्यापार क्षेत्र में व्याप्त अनेक समस्याओं का निपटारा अत्यंत सहजता के साथ किया जा सकता है।

केन्द्र सरकार ने वैट कर प्रणाली को अभी हाल के वर्षों में भी प्रस्तावित किया है। इससे पूर्व इसके संभावित स्वरूप को लेकर व्यापक विचार-विमर्श का आयोजन किया गया था। जिसमे इसके ‘तात्विक-स्वरूप’ और ‘प्रभावी-क्षेत्र’, दोनों पर ही विस्तार से विचार किया गया था।

‘समसामायिकी’ ने वैट कर-प्रणाली के संदर्भ में लिखा है-“वैट कर-प्रणाली अपनाने से भारत जैसे विकासशील देश में पूंजी तथा मानव संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग संभव होगा, एवं पूंजी निर्माण में बढ़ोत्तरी होगी, क्योंकि उससे कुशल तथा अधिक कुशल प्रतिष्ठानों के लिए ज्यादा पूंजी उपलब्ध होने लगेगी। अर्थात वैट कर प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है, जो महत्वाकांक्षाओं से परिपूर्ण है। इससे पंजी निर्माण में सफलता, ज्यादा स्पष्टता और सहजता के साथ प्राप्त होने लगेगी। और फिर संगठित पंजी का उपयोग अन्य महत्वाकांक्षी प्रतिष्ठानों के हितार्थ किया जा सकेगा।”

वैट की अनिवार्यता जिन परिस्थितियों के कारण बनी है, उनका उल्लेख ‘समसामयिकी’ ने कुछ इस प्रकार किया है: “वैट एक तरह का बिक्री कर है जो किसी वस्तु या सेवा की उस कीमत पर लगाया जाता है जो उनमें समय, वस्तु या सेवा के उत्पादन से लेकर वितरण तक आने में जुड़ती हैं। करारोपण के प्रमुख उद्देश्य हैं आय, समानता, मांग का नियमन तथा ऊंचे स्तर पर रोजगार की प्राप्ति। कोई भी एक कर, इन सभी उद्देश्यों की पूर्ति करने में एक साथ सक्षम नहीं है। इसे देखते हुए ही आधुनिक समय में वैट सबसे तेजी से लोकप्रिय होने वाली कर-प्रणाली रहा है। यह तो निश्चित है कि वैट प्रणाली लागू होने से, देश में पहली बार वास्तविक रूप में एक राष्ट्रीय बाजार का गठन होगा, जो विश्व बाजार में एक इकाई के रूप में इसके शामिल होने की एक जरूरी शर्त है।”

जहाँ हम इस बात का संकेत स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष पाते हैं कि यह कर-प्रणाली एक ओर तो अत्याधुनिक समय की अपनी आवश्कताओं का ही परिणाम है और दूसरी ओर, आज भारतीय अर्थव्यवस्था जिस गतिशीलता और तीव्रता के साथ विकसित हो रही हैं, और विश्व बाजार में उसका महत्वपूर्ण स्थान जिस प्रकार निर्मित हो रहा है, उसे देखेते हुए एक ऐसी कर-प्रणाली की आवश्यकता महसूस की गयी है जो व्यापार क्षेत्र की तमाम अव्यवस्थाओं को समाप्त कर कर-प्रणाली के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था स्थापित कर सके। इसमें किसी प्रकार की शंका अब शेष नहीं रह गयी है कि इसकी कसौटी पर पूर्णत: उतरने की क्षमता मात्र वैट कर-प्रणाली में ही है।

इसी के साथ, हमें एक अन्य वास्तविकता पर भी विचार करना चाहिए जिसका भारतीय सामज से अत्यंत गहरा संबंध है। वह वास्तविकता है – भारतीय बाजार में बढ़ रही महंगाई। महंगाई के दृष्टि-बिन्दु से देखने पर भी वैट कर-प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण और सकारात्मक दिखाई पड़ती है। समसामयिकी में लिखा गया है- “बहुत पहले से ही यहां वित्त मंत्रालय वैट को एक ऐसे आर्थिक अस्त्र के रूप में पेश कर चुका है, जिससे केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों उद्योगपति तथा इन सबके साथ आम उपभोक्ता को भी बराबर का लाभ होगा। इससे वस्तओं के दाम घटेंगे, क्योंकि एक ही वस्तु पर कई बार कर नहीं देना होगा।’ अतः वैट कर-प्रणाली पूर्णत: उचित और सकारात्मक कर-प्रणाली है और इसे जल्द से जल्द पूर्णत: लागू किए जाने का प्रबंध करना चाहिए।

Essay on Corruption in Hindi

Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *