Chandi Ki Chabi Story in Hindi चांदी की चाबी कहानी

Read Chandi Ki Chabi Story in Hindi. चांदी की चाबी कहानी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए चांदी की चाबी कहानी हिंदी में।

hindiinhindi Chandi Ki Chabi Story in Hindi

Chandi Ki Chabi Story in Hindi – चांदी की चाबी कहानी

हम दूसरे लोगों से अपने साथ जिस व्यवहार की कामना और कल्पना करते हैं वही व्यवहार हमें दूसरों के साथ भी करना चाहिए। अपने को चतुर समझ कर हम सदैव दूसरे लोगों को छल नहीं सकते हैं, अपितु हमारी चुतराई हमारे लिए ही परेशानी उत्पन्न कर हमें जैसे को तैसा-पाठ सिखाती है।

एक बार मैं एक पर्वतीय स्थल की यात्रा करने के लिए निकल पड़ा। हरियाली से भरे वृक्षों की छटा देखते ही बनती थी। दूर जाते-जाते और घूमते हुए अन्धेरा भी हो जाता और मैं प्रकृति की सुन्दरता का पान करना वापिस आ जाता।

उस दिन भी अंधेरा हो गया। ठिठुराती ठण्ड थी। काफी बारिश हो रही थी और मुझे कहीं भी ठहरने का स्थान नहीं मिल पा रहा था। तभी दूर मुझे एक प्रकाश की किरण दिखाई दीं। मैं उस तरफ चल दिया। वह प्रकाश एक सराय की खिड़की से आ रहा था। मैंने सराय का दरवाजा खटखटाया। अन्दर से आवाज आई, “यह सराय तो गर्मियों में चालू रहती है। यहां कुछ नहीं है।” यह आवाज अन्दर से चौकीदार की थी। मैंने कहा, “मैं मुसाफिर हूं। रास्ता भूल गया हूं। बारिश हो रही है। रात भर ठहरने के लिए जगह चाहिए।” अन्दर से आवाज आई, “द्वार को तो ताला लगा हुआ है। इसकी चाबी चांदी की है। गुम हो गई है। तुम्हारे पास है तो फैंक दो। द्वार खोल देता हूं।”

पहले तो मैं उसकी बातें समझ न पाया। लेकिन जब बात समझ में आई तो मैं उस लालची चौकदार की कारस्तानी समझ गया। मैंने सोचा इसे जरूर सबक सिखाना चाहिए। मैंने अपनी जेब में से कुछ सिक्के निकाल कर दरवाजे के नीचे से फेंक दिए। पैसों की खनक सुनते ही उसने दरवाज़ा खोला। मैं अन्दर चला गया। फिर बोला, “चौकीदार वहां द्वार के साथ मेरा सूटकेस पड़ा है। उठा लाओ।” लालची चौकीदार ने इस बात से ऐंठना चाहा। ज्यों ही वह बाहर गया मैंने भीतर से दरवाजा बन्द कर लिया। चौकीदार चिल्लाय, “बारिश बहुत है, दरवाजा तो खोलो।” मैंने कहा “चांदी की चाबी दोगे तो खोल देंगे।” मज़बूर होकर उसे मेरे दिए गए पैसे वापस फैंकने पड़े। मैंने दरवाजा खोला तो चौकीदार की दृष्टि ऊपर न उठ पा रही थी। तब मैंने वहां सराय में आराम से रात गुजारी और सुबह बारिश के समाप्त होते ही मैं वहां से निकल पड़ा।

शिक्षा – जैसे को तैसा

Unity in Diversity Essay in Hindi

Murkh Mitra Story in Hindi

Godavari River in Hindi

Meera Bai in Hindi

Essay on Friendship in Hindi

Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *