Essay on Raksha Bandhan in Hindi रक्षाबंधन पर निबंध

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Essay on Raksha Bandhan in Hindi

hindiinhindi Essay on Raksha Bandhan in Hindi

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 200 Words

रक्षाबंधन हिन्दुओं का मनाये जाने वाले एक प्रसिद्व त्यौहार है। ‘रक्षा’ का मतलब है ‘सुरक्षा’ और ‘बंधन’ का मतलब ‘बाध्य’ होता है। यह त्यौहार भाई और बहन का है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर एक राखी बांधती है और अपने भाई के लिए प्रार्थना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और हर स्थिति में अपनी बहन की रक्षा का वादा करते है। यह उनके प्यार, एकता और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन बाजारों में कई प्रकार के उपहार बिकते है और कई दुकानों में मिठाईयॉ भी बिकती है।

रक्षा बंधन के बारे में इतिहास में कई कहनियॉ मौजूद है। उनमें से एक प्रसिद्व कहानी कृष्णा और द्रौपती की है जिसमें कृष्णा जी की उंगली युद्ध के दौरान घायल हो गई थी और द्रोपती ने अपनी साड़ी में से दुकडा बांध दिया था और कृष्णा जी ने हमेशा उसे किसी भी कठिनाई से बचाने का वादा किया था। आज की दुनिया में जहाँ हर कोई व्यस्त है यह त्यौहार सभी परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और खुशियां ही खुशियों फैलाता है।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 300 Words

भारत त्योहारों का देश है। यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। उसी में से एक प्रमुख त्यौहार है रक्षाबंधन। रक्षाबंधन प्रमुख रूप से भाई-बहन का पर्व माना जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है तथा दाहिने हाँथ पर राखी बाँधकर उनका मुँह मीठा कराती है। भाई भी इसके बदले में प्रसन्न होकर बहन को कुछ उपहार देता है। राखी बांधते समय बहन अपने भाई की सकुशल होने की कामना करती है और भाई अपने बहन की हमेशा देखभाल और रक्षा करने की वचन देता है। इस दिन पुरे परिवार में खुशी का माहौल होता है और इस दिन घर में विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं।

रक्षाबंधन के कुछ दिन पहले से ही बाजार में विशेष चहल-पहल शुरू हो जाती है। रंग-बिरंगी राखियों से दुकानों की रौनक बढ़ जाती है। बहनें दुकानों में जाकर अपने भाइयों के लिए तरह-तरह की राखी खरीदती हैं। हलवाई की दुकान पर भी बहुत भीड़ होती है। सभी लोग एक दुसरे को उपहार देने के लिए मिठाइयों के पैकेट खरीदकर ले जाते हैं। रक्षाबंधन के दिन परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होते हैं। विवाहित बहनें मायके आती है अपने भाई को राखी बाँधने के लिए या अगर बहन मायके नहीं आ पाती तो भाई अपने बहन के घर जाता है रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए।

इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई प्रसंग हैं जिसमे से एक उल्लेख महाभारत में देखने को मिलता है: जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो कृष्ण के हाथ में हल्की चोट लग गयी और खून बहने लगा था। द्रौपदी श्री कृष्ण की मुंहबोली बहन थीं और जब द्रौपदी ने देखा कि श्री कृष्ण के हाथ से रक्त बह रहा है तो उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी को चीर फाड़कर थोड़ा सा कपडा निकलकर कृष्ण के हाथ पर पट्टी की तरह बांध दिया था। उस समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी को हमेशा रक्षा करने का वचन दिया था और तभी से ही श्रावणमास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन बनाने की प्रथा चल पड़ी थी।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 400 Words

रक्षा-बन्धन भारतीय लोक-जीवन की सुन्दर परम्परा का पवित्र एवं प्रमुख त्योहार है । यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र सनेह का प्रतीक है । प्राचीन आश्रमों में स्वाध्याय के लिए द्विज (ब्राह्मण) नया जनेऊ धारण करते थे । जनेऊ के तीन तारों में जनेऊ बांधी जाने वली ब्रह्म गांठ उन्हें अज्ञान रूपी गांठ को सुलझाने का प्रण याद दिलाती रहती थी । यह पावन पुनीत कार्य किसी नदी, जलाशय या वन में सम्पन होता था । इसे उपाकर्म संस्कार कहते थे । यज्ञ के बाद रक्षा-सूत्र बाँधने की प्रथा के करण इसका नाम ” रक्षा-बन्धन ” लोक-प्रचलित हो गया । संस्कृत के रक्षा शब्द को हिन्दी में ‘राखी’ कहा जाता है । यह श्राबणी पूर्णिमा को मनाया जाता है । इसलिए इसे है श्रावणी’ या ‘राखी’ भी कहते है । पुरोहित अपने यजमानों के हाथ में मौलि बाँधकर आशीष देते है ।

राखी है जुडी एक ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया तो वहाँ की क्षत्राणी-राज़मूतानी रानी कर्मबती ने हुमायूँ (मुगल सम्राट) को राखी भेजकर रक्षा केलिए सहायता माँगी थी । तब हुमायुँ ने हिन्दू-मुसलमान के भेदभाव को भुलाकर राखी के धागे का मूल्य समझा और उसकी रक्षा की थी ।

रक्षा बन्धन के दिन भाइयों के दूर होने पर बहनें डाक से राखी भेजती हैं । यदि भाई-बहन आस पास हों तो वे स्वय आकर राखी बाँधती हैं । जिस व्यक्ति की अपनी बहन नहीं होती, वह अपने रिश्ते की किसी बहन से राखी बँधवाता है । रक्षा बन्धन के दिन देशवासी राष्ट्रपति-प्रधानमन्ती आदि को राखी बाँधते है । जिनके कंधे पर देश का दायित्व है ।

बहने ईश्वर से अपने भाई की रक्षा के लिए मंगलकामना करती हैं । उसके बाद भाई को मीठा खिलाती हैं । वे अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके हाथ पर राखी बाँधती है । भाई बहन से राखी बँधवाकर उसकी रक्षा का भार अपने उपर ले लेते हैं । भाई अपनी बहनों को इस दिन धन और उपहार देते हैं ।

यह त्योहार सादगी और पवित्रता का प्रतीक है । इस त्योहार का उददेश्य नारी समाज की सुरक्षा होना चाहिए। आज के इस प्रगतिशील समय में इस बात की आवश्यकता है कि प्रत्येक भाई-बहन इस त्योहार का परम्परागत पालन करें । बहनों को केवल उपहार प्राप्ति की इच्छा से ही राखी बाँधने की लालसा नहीं होनी चाहिए। भाई की जेब तथा बहन की इच्छा में सन्तुलन जरूर होना चाहिए। भाई को भी नाक बचाने के लिए सामर्ध्व से ज्यादा ख़र्च करके बहनों के उपहार नहीं देना चाहिए । उसे न सिर्फ अपनी बहन, बल्कि समाज में हर कमजोर, व्यक्ति और मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए । यह विचार देश की एकता और विश्व-बन्धुत्व की भावना के प्रसार-प्रचार में लाभकारी होगा ।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi 500 Words

हमारा देश त्योहारों का देश है। समय-समय पर विभिन्न त्योहारों के माध्यम से हम खुशियों का स्वागत करते है। कभी होली तो कभी दीवाली के माध्यम से हमें अपनों के साथ अमूल्य समय अमूल्य समय बिताने को मिलता है। रक्षाबंधन भी इन्ही त्योहारों में से एक है। यह भाई-बहन का त्योहार माना जाता है। इस त्योहार का संबंध वीरता और त्याग से हैं। यह भारत का एक सांस्कृतिक पर्व है।

यह त्योहार वैदिक काल में आरंभ हुआ, जबकि देवराज ने राक्षसों के साथ युद्ध आरम्भ किया। युद्ध में इन्द्र के जीतने के लिए उनकी पत्नी शची ने उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा था और इस युद्ध में इन्द्र विजयी हुए थे। तभी से रक्षा सूत्र बांधने की परम्परा प्रचलित हो गई। यत्र और विभिन्न पूजा-पाठ में ब्रह्म रक्षासूत्र बांधते थे इसलिए आज भी पुरोहित और यजमान के संबंध का निर्वाह इस रक्षासूत्र से चलता आ रहा है।

राजपूत वीर जब युद्ध में जाते थे यूँ तब उनकी बहनें उनकी कलाइयों में रक्षासूत्र बांधती थीं। रानी कर्मवती ने हुमायूँ के हाथ में बाँधने के लिए रक्षाबंधन भेजा था और इस रक्षासूत्र अर्थात राखी का सम्मान करते हुए हुमायूँ ने रानी कर्मवती को बचाने का प्रयत्न किया था। यह एक ऐतिहासिक घटना थी लेकिन इसका महत्व आज भी उतना है जितना पहले था। यह त्योहार जातिगत भेद-भाव को नहीं मानता। सभी जाति के लोग इस त्योहार को प्रेम से मनाते हैं।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और यह त्योहार भाई-बहन के रक्षा बंधन के त्योहार के रूप में श्रावण मास की पूर्णमासी को मनाया जाने लगा। रक्षाबंधन के अवसर पर भाई बहनों की रक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं। बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, मिठाई खिलाती हैं और भाई बदले में रूपये या कोई उपहार भेंट करते हैं। यह परम्परा बनी हुई हैं और इस त्योहार ने अपनी पवित्रता बरकरार रखी है।

इस त्योहार के शुभ अवसर पर हाट-बाजार रंग-बिरंगी राखियों से भर जाते हैं। दुकानें दुल्हनों की तरह सज जाती हैं। इस अवसर पर ब्राह्मण लोग अपने यजमानों के यहाँ जाकर दक्षिणा प्राप्त करते हैं। इस त्योहार का मूल भाव अपने देश और राष्ट्र को शत्रुओं से बचाना है। वीरों में वीरता का भाव कभी कम न हो इसलिए युद्ध के समय बहनें अपने भाईयों को राखी भेजती हैं और वीर योद्धा इससे भावनात्मक बल प्राप्त करता है। सन् 1965 में पाकिस्तान के साथ यद्ध के समय भारतीय वीरों के लिए देश भर से नारियों ने राखियां भेजी थीं और इसका
परिणाम भारत की जीत के रूप में हमारे सामने आया। बहनों, माताओं के रूप में भारतमाता की रक्षा करता रक्षाबंधन का मूल उद्देश्य है। मिठाई खाने और बदले में रूपये देने की परम्परा के पीछे रक्षा की भावना का महत्व है। धन से या किसी भी वस्तु से राखी का मूल्य नहीं चुकाया जा सकता। किसी कवि ने कहा है-

बहन तुम्हारी इस राख का, मूल्य भला क्या दे पाऊंगा।
बस इतना तेरे इंगित पर, बहन सदा बलि बलि जाऊंगा।

हमारी भारतीय संस्कृति में यह त्योहार सबसे प्राचीनतम त्यौहार है। रक्षाबंधन का त्योहार आज धीरे-धीरे अंतरास्ट्रीय रूप भी लेता जा रहा है। विदेशी लोग जब भी भारत आते है वे भी इस त्योहार से आकर्षित होकर भारतीय नारियों से राखी बंधवा लेते है। रक्षाबंधन के त्योहार को हम प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

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