Essay on Summer Vacation in Hindi गर्मी की छुट्टियाँ कैसे बिताई पर निबंध

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hindiinhindi Essay on Summer Vacation in Hindi

Essay on Summer Vacation in Hindi 200 Words

ग्रीष्मकालीन अवकाश वह समय है जब गर्मियों के महीनों में उच्च तापमान के कारण स्कूल व अन्य शिक्षा संस्थान बंद रहते है। बच्चों को बहुत सारा आनंद मिलता है क्योंकि उन्हें डेढ़ महीने की छुट्टियाँ जो मिलती है। बच्चे तैराकी, नृत्य आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों में जाकर अपनी छुट्टियाँ बिताते है जो कि समय की कमी के कारण वे अपने स्कूल के समय में नहीं कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन शिविर स्कूलों में आयोजित किये जाते हैं और बच्चे इन शिविरों में शामिल होकर कई चीजें सीख सकते हैं।

छात्रों को पाठ्यक्रम को कवर करने और उन विषयों को बेहतर बनाने के लिए बहुत समय मिल जाता है जिनमें वे कमजोर होते है। वे अपने परिवार के साथ काफी समय बीता सकते है कुछ घूमने के लिए जाते है और कुछ अपने प्रिय दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ अच्छा समय बिताते है। ग्रीष्मकालीन अवकाश वह है जो हर छात्र चाहता हैं। यह उन्हें उबाऊ दिनचर्या से बाहर निकलने और कुछ दिलचस्प काम करने में मदद करता है। जब छात्र छुट्टी के बाद स्कूल लौटते हैं तो वे ऊर्जावान और आगे पढ़ने के लिए आराम से तैयार होते है।

Essay on Summer Vacation in Hindi 300 Words

मेरा स्कूल 10 मई से लेकर 20 जून तक ग्रीष्मावकाश के लिए बंद कर दिया गया था। जैसे ही स्कूल में गर्मी छुट्टी पड़ी उसकी खबर मैंने तुरंत अपने घर में दी। मैंने पहले से ही ग्रीष्मावकाश घरवालों के साथ शिमला जाने का कार्यक्रम बना रखा था। मुझे पहाड़ी जगहों पर जाना बहुत पसंद है। मै, मेरे – पापा मम्मी, एक छोटा भाई और एक मेरी बड़ी बहन, हम सभी ने शिमला जाने के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी। हम सभी शिमला जाने के लिए बहूत उत्सुक थे।

गर्मी की छुट्टी मिलते ही हम सभी ने उसी रात अपना सामान पैक किया और उसके अगले ही दिन सुबह लगभग 6 बजे में हमने दिल्ली से शिमला के लिए ट्रेन पकड़ा। हम लगभग 1 बजे शिमला स्टेशन पहुंचे। शिमला पहुंचकर ऐसा लगा जैसे हम स्वर्ग में आ गये हों। वहाँ चारो तरफ हरियाली ही हरयाली थी। गर्मी के मौसम में भी वहाँ का मौसम बहूत सुहावना था। चारों तरफ ठंडी – ठंडी हवा चल रही थी। स्टेशन से हम ई – रिक्शा लेकर वहाँ के एक होटल में गये। वहाँ पर हमने पहले ही एक कमरा बुक किया हुआ था। हम सब ने वहाँ खाना खाया और और थोड़ी देर आराम किया। लगभग 2 घंटें आराम करने के बाद हम सभी बाहर घूमने के लिए निकले।

शिमला में हमने बर्फ से ढके पहाड़ों को देखा, सुहावनी झीलें देखीं। शिमला सभी पर्यटकों को गर्मी के दिनों में यहाँ आने के लिए आकर्षित करता है क्यूंकि यहाँ गर्मी का अहसास नही होता। यह एक बहुत ही यादगार दृश्य था। हमने कई यादगार चित्रों पर कब्जा कर लिया और बहुत मज़ा लिया। हम कई ऐतिहासिक स्थानों पर जा कर कई दिन बिताए। मेरी गर्मी की छुट्टियाँ खत्म होते ही हम सभी घर वापस आ गये। यह मेरे जीवन की वास्तव में बहुत अच्छी यात्रा थी। जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता।

Essay on Summer Vacation in Hindi 600 Words

कष्टदायक गर्मियां आरंभ हो चुकी थी। इधर कुछ दिनों से तो गर्मी अपने विकराल, तपा देने वाला रूप दिखलाने लगी थी। बढ़ती गर्मी के कारण शारीरिक सुस्तता और मानसिक थकावट भी बढ़ने लगी थी। मन में अगर किसी चीज को लेकर थोड़ा बहुत उल्लास शेष बचा हुआ था, तो वह था आने वाली गर्मी की छुट्टियों का उल्लास। गर्मी की छुट्टियां काफी लम्बी छुट्टियां होती हैं। पूरे दो महीने तक हमें अपने अत्यंत व्यस्त कार्यक्रम से मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में हम पूरी स्वच्छंदता के साथ अपने समय का उपयोग करते हैं। नाना भांति के मनोरंजन पूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन हम अपने मित्रों के साथ मिलकर करते हैं। संक्षेप में कहा जा सकता है, कि इन गर्मियों की छुट्टियों में हम सालभर की थकान और सुस्तता को पूरी तरह से दूर कर लेते हैं।

आज स्कूल जाने का अन्तिम दिन है। कल से हमारी लम्बी छुट्टियां शुरु होने वाली हैं। क्लास के प्रत्येक विद्यार्थी के चेहरे पर इसकी गहरी खुशी साफ-साफ देखी जा सकती है। सभी लोगों का कार्यक्रम तय हो चुका है। कोई अपने माता-पिता के साथ कहीं बाहर घूमने जाने वाला है तो कोई अपने मित्रों के साथ किसी अभयारण्य की सैर पर जाने की तैयारी कर रहा है। सभी अपने-अपने कार्यक्रमों की चर्चा अपने मित्रों आदि के साथ करने में व्यस्त हैं। मन की उत्कट जिज्ञासाएं उनके चेहरों पर मूर्तवान हो रही हैं। सभी अपने-अपने कार्यक्रमों को लेकर बेहद प्रसन्न हो रहे हैं। किन्तु, रमेश के चेहरे पर न तो किसी प्रकार की प्रसन्नता है और न उदासी। वह भावहीन मुद्रा में अपनी सीट पर बैठा हुआ है। रमेश के माँ और पिताजी दोनों ही इस संसार में नहीं हैं। वह अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ स्थायी रूप से रहता है। पहले जब भी मैं उससे कहीं घूमने की बात करता था तो वह उसी भावहीन चेहरे के साथ मुझे ना कर देता था। एक बार उसने मुझसे एकान्त के क्षणों में कहा कि मेरा न तो कोई गाँव है और न कोई ऐसा स्थल जहाँ पर मेरा कोई परिजन निवास करता हो। तब मैं किस चीज का उल्लास मनाऊँ, जबकि मैं जानता हूँ कि मुझे अपने यहाँ कोई नहीं बुलाएगा। फिर मेरे पास इतने पैसे ही कहां हैं कि मैं अकेला ही कभी घूमने चला जाऊँ। उसकी इस बात को मैं आज भी नही भूला हूँ। आज फिर एक बार गर्मी की छुट्टियां आ गयीं आज फिर रमेश उसी भांति मौन और भावहीन मुद्रा में बैठा हुआ है।

कभी-कभी सोचता हूँ, इन छुट्टियों के दौरान उसका मन कभी बाहर घूमने जाने के लिए कितना अकुलाता होगा। इस बार मैंने निर्णय कर लिया है कि चाहे जैसे हो मैं रमेश को कहीं बाहर घूमाने के लिए अवश्य ही ले जाऊंगा।

मैंने इस बारे में अपने पिताजी से बात की। उन्होंने पूरी गम्भीरता से मेरी बात को सुना और इस बारे में माँ से भी बात की। बाद में शाम को भोजन करते समय माँ-पिताजी दोनों ने रमेश को अपने साथ नैनिताल ले चलने की सहमति जता दी। साथ ही वो मेरे इस जीवन-आचरण से इतने खुश और प्रसन्न थे कि वो मुझे बार-बार अपनी गोद में बिठाकर प्यार कर रहे थे।

मैंने फिर इस प्रस्ताव को पूरी सावधानी पूर्वक रमेश के सामने रखा, पहले तो उसने साफ मना कर दिया और कहा कि मुझ पर दयाभाव रखने की जरुरत नहीं। पर मेरे द्वारा लगातार उसे मनाए जाने की प्रक्रिया में उसने हाँ कर दी। मैं भी इस बात से बहुत उत्साहित था कि अब मैं अपने मित्र रमेश के साथ इन गर्मियों की छुट्टियों का पूरा मजा ले सकूंगा।

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