Essay on Advertisement in Hindi विज्ञापन पर निबंध

Read an essay on advertisement in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Know what is the importance of advertisement in Hindi or Hindi Samachar or Vigyapan Essay in Hindi. विज्ञापन पर निबंध।

hindiinhindi Essay on Advertisement in Hindi

Essay on Advertisement in Hindi 700 Words

विज्ञापन का महत्व

विज्ञापन का अर्थ होता है विज्ञापित करना, जानकारी देना। अर्थात किसी विशेष संदर्भ में आवश्यक सूचना और जानकारी से सामान्य जनता को अवगत कराना। आज का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण उद्योग विज्ञापन उद्योग है। बिना किसी कम्पनी अथवा संस्थान के यह उद्योग आज कल व्यापक रूप से अपना विकास और उन्नति कर रहा है। विज्ञापन हालाँकि अनेक प्रकार के होते हैं, किन्तु प्रधानत: विज्ञापन से जो अर्थ सामान्य रूप से ग्रहण किया जाता है वह अर्थ रोजगार की सूचना से होता है। आजकल अखबारों में इसके लिए अलग से एक स्तंभ ही दिया जाता है। इससे कम से कम इतना संकेत तो अवश्य ही प्राप्त होता है कि आज की समसामयिक स्थितियों-परिस्थितियों को देखते हुए अनिवार्य रूप से विज्ञापन हमारे आधुनिक समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।

विज्ञापनों ने अपना एक उद्योग ही निर्मित कर लिया है, और इनके माध्यम से अनेकानेक प्रकार की जरुरी जानकारियां हमें घर बैठे प्राप्त हो जाती हैं। रोजगार से संबंधित जानकारियां हों अथवा मकान अथवा जमीन आदि से संबंधित जानकारयिां, या फिर, विवाह समारोह, साहित्यक-सांस्कृतिक जानकारियां, हमें इन विज्ञापनों की सहायता से ये सभी प्रकार की जानकारियाँ अत्यंत सहजता से प्राप्त हो जाती हैं।

आज अगर विज्ञापन के महत्व को हमें स्पष्टता के साथ समझना और पहचानना हो तो सर्वप्रथम हमें इसके अति विस्तीर्ण फलक को देखना पड़ेगा। ऐसा कदापि नहीं है कि विज्ञापन हमें मात्र अखबारों में ही दिखाई देते हैं, अपितु इनका फल आज के संचार क्रांति के युग में अविसवश्नीय रूप से समृद्ध और व्यापक हुआ है। इसी का ही परिणाम है कि मात्र विज्ञापनों को छापने वाले सैंकड़ों अखबार आज उपलब्ध हैं। जब भी कोई नगरीकरण से संबंध रखने वाली नयी परियोजना आरम्भ होती है, आकस्मिक रूप से उसके बारें में समग्र जानकारी देने वाली ऐसी पत्रिकाएं प्रकाशित होने लगती है, जिनमें मात्र उस नगर विशेष के बारें में ही बताया गया होता है। उदाहरण के लिए एशिया, की सबसे बड़ी कालोनी कही जाने वाली द्वारका अभी-अभी बसी है। किन्तु इस कालोनी में उपलब्ध होने वाली सुविधाओं, सेवाओं आदि का प्रचार करने के लिए, ‘द्वारका’ नामक एक पत्रिका काफी समय पहले से ही निकल रही हैं।

विज्ञापन को प्रिंट मीडिया के साथ-साथ इलैक्ट्रोनिक्स मीडिया की भी आय का प्रमुख स्रोत कहा जा सकता है। यह शत प्रतिशत सच भी है कि तमाम संचार माध्यमों का काम मूलत: इन्हीं विज्ञापनों के माध्यम से होता है। क्या आपने कभी इस बात पर गंभीरता पूर्वक विचार किया है कि टी वी चैनल हमें इतने मनोरंजन के, ज्ञान के और अन्य अनके प्रकार के जो सुन्दर कार्यक्रम दिन रात मुफ्त में दिखलाते हैं, ऐसा क्यों है? इस व्यावसायिकता वादी युग में हमें इतनी अमूल्य वस्तु यू ही बिना किसी झंझट के आखिर कैसे प्राप्त हो जाती है? इसका एक मात्र सटीक उत्तर है ‘विज्ञापनों के कारण’। विज्ञापनों से ही इन संचार माध्यमों को इतनी अपार धनराशि सुलभ हो जाती है कि अन्य प्रकार के अपने दर्शकों आदि से धन प्राप्त करने की कोई आवश्यकता ही महसूस नहीं होती।

अब हम एक अन्य बात पर भी विचार कर सकते हैं कि इन विज्ञापनों की आवश्यकता आखिर किसे होती है? इस प्रश्न का उत्तर मूलतः द्विपक्षीय है। प्रथम तो विज्ञापनों की आवश्यकता, तमाम भांति की, रोजमर्रा की वस्तुएं बनाने वाली कम्पनियों को होती है, ताकि वे जिन वस्तुओं, पदार्थों आदि का निर्माण करते हैं उनके बारें में सभी लोग जान पाएं और उनकी वस्तुएं अधिकाधिक मात्रा में खरीदें। साथ ही इन विज्ञापनों की आवश्यकता एक आम दर्शक को भी होती है, क्योंकि वह अपने दैनिक जीवन में जिन वस्तुओं का उपयोग एवं उपभोग करता है उनके बारे में प्रथमत: सही जानकारी उपलब्ध हो सके और उन वस्तुओं की अधिक से अधिक चुनाव की क्षमता उसमें विकसित हो सके।

इस तरह विज्ञापन ने आज एक स्वतंत्र व्यवसाय का रूप ग्रहण कर लिया है, साथ ही साथ इसके माध्यम से एक आम आदमी भी सारे उत्पादन क्षेत्र से जुड़ जाता है । कम्पनियां कौन-कौन सी वस्तुएं बना रहीं है, उनकी गुणवत्ता क्या है, और आखिर में उसके पास चुनाव की क्षमता कितनी है, इन सभी प्रकार की सूचनाएं उसे विज्ञापनों के माध्यमों से ही प्राप्त होती हैं।

Essay on Advertisement in Hindi 800 Words

विज्ञापन पर निबंध

आज का युग विज्ञान का युग है तो विज्ञापन का भी। यत्र, तत्र, सर्वत्र विज्ञापन देखे जा सकते हैं। हमारा सारा जीवन ही विज्ञापनमय हो गया है। विज्ञापनों से कहीं छुटकारा नहीं। विज्ञापन का अर्थ है उत्पादन, सेवा और वस्तुओं के विषय में संभावित ग्राहकों को सूचना देना, उन्हें वस्तुओं के प्रति लालायित कर खरीददारी में बदल देना। बिक्री बढ़ाना, अपने उत्पादों में रुचि और आकर्षण बढ़ाना विज्ञापनों का प्रमुख लक्ष्य होता है।

विज्ञापन व्यापार और लाभ वृद्धि का आज एक बहुत महत्त्वपूर्ण साधन है। बिक्री के बिना उत्पादन का कोई लाभ नहीं। मांग के बिना उत्पादन निरर्थक हो जाता है। सभी व्यापारिक गतिविधियों का उद्देश्य लाभ कमाना है। लाभ कमाने के लिए बिक्री का होना जरूरी है। बिक्री के लिए विज्ञापन आवश्यक है। विज्ञापन एक कला और तकनीक है जिसके माध्यम से व्यापारी सेवाओं, विचारों, उत्पाद और अपने आपके बारे में लोगों को सूचित करता है।

वह उन्हें बताता है कि उसकी सेवा या उत्पाद की क्या गुणवत्ता तथा विशेषताएं हैं, कैसे वे औरों की तुलना में सस्ती और बेहतर हैं। वंह विज्ञापन द्वारा लोगों में यह भावना पैदा करता है कि उसकी वस्तुएं खरीदने से उनका जीवन सुखमय और सुविधाजनक हो जायेगा। विज्ञापन इस प्रकार आकर्षक बनाये जाते हैं कि लोग उत्पाद और सेवा खरीदने के लिए प्रेरित हों। इनके प्रभाव में आकर जनता कई बार बिना आवश्यक भी वस्तुएं खरीदती देखी गई हैं।

विज्ञापन का धंधा स्वयं में एक बहुत बड़ा व्यापार है। इस में बड़े-बड़े विशेषज्ञों, ऐजेंसियों और व्यक्तियों की सेवा ली जाती है। विज्ञापनों पर असीमित धन समय और शक्ति व्यय की जाती है और परिणाम में आशातीत लाभ कमाया जाता है।

विज्ञापन ब्रांड बिल्डिंग के सर्वोत्तम साधन हैं। इन्हें के माध्यम से कई कंपनियां इतनी प्रसिद्ध हो जाती हैं और उनके उत्पादन लोगों के घर-घर में होते हैं या जुबान पर होते हैं। उदाहरण के लिए एक समय था जब “डालडा” वनस्पति घी का ही पर्याय बन गया था। कोई भी ब्रांड का वनस्पति घी हो, उसे लोग डालडा कहकर ही पुकारते थे। यही बात आज “सर्फ” डिटरजेंट के बारे में उचित दिखाई देती है।

विज्ञापनों पर खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि इनके अनेक लाभ हैं। इनके द्वारा ग्राहकों से सीधा संपर्क बनाया जा सकता है और बिचौलियों को हटाया जा सकता है। इसका तात्पर्य हुआ और अधिक लाभ, और अधिक बिक्री और ज्यादा बचत। बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने बजट का 60-70 प्रतिशत तक धन विज्ञापनों और बिक्री-वृद्धि के उपायों पर खर्च करती है। क्रिकेट, फुटबाल, टेनिस, शतरंज आदि के टूर्नामैंट, मैच आदि स्पोंसर करना, मुफ्त सैंपल बांटना, उधार देना, आकर्षक छूट देना, एक वस्तु के साथ दूसरी मुफ्त देना, सामाजिकग, सांस्कृतिक, मेले आदि के आयोजनों में आर्थिक सहायता देना आदि कुछ ऐसे ही उपाय हैं।

मैंच को स्पोंसर करने वाली कम्पनी को खेल के मैदान में बड़े-बड़े बैनर, पोस्टर आदि लगाने, प्रचार की टोपियां आदि सामग्री वितरित करने की छूट होती है। स्कोर बोर्ड पर भी उनका नाम अंकित रहता है। यहां तक कि खिलाड़ी जिन जरसियों, जूतों, टोपियों आदि को पहनते हैं उन पर भी कम्पनी के नाम या उत्पाद अंकित रहते हैं। बल्ला आदि पर भी उनके विज्ञापन संबंधी लिखावट रहती है।

विज्ञापनों का एक मात्र उद्देश्य लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना होता है। विज्ञापनकर्ता जानते हैं कि कब, कैसे और कहां विज्ञापन का पूरी सावधा चतुराई और सतर्कता से उपयोग किया जाना चाहिये। उनके पास बड़ी कुशल रणनीति होती है जो लम्बे अनुभव और प्रयोगों पर आधारित होती है। वे जानते हैं कि बच्चों के लिए कैसे विज्ञापन होने चाहिये, स्त्रियों के लिए कैसे और दूसरे ग्राहकों के लिए कैसे। वे अवसर का भी विशेष ध्यान रखते हैं जैसे दीवाली, क्रिसमस, सेल आदि के लिए उनके पास अलग रणनीति होती है। विज्ञापन के लिए व्यापारिक घराने, कम्पनियां और एजेंसियां प्रसिद्ध खिलाड़ियों, अभिनेताओं, सिने तारिकाओं और कलाकारों का सहयोग लेते हैं। उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाकर बजार में उतारते हैं।

लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों में कुछ नयी, मौलिक, मनभावन, जुबान पर चढ़ने वाली, कर्णप्रिय सामग्री का चयन किया जाता है। ऐसे चित्रों का प्रयोग किया जाता है जो साधारण न हों और लोगों की भावनाओं को उत्तेजित करने वाले हों। नारी सौन्दर्य, उसके विभिन्न हावभावों आदि का प्रयोग और दुर्पयोग आज विज्ञापन के संसार में धड़ल्ले से हो रहा है। विविधता का भी उनमें बड़ा ध्यान रखा जाता है और इसके लिए आकर्षक स्लोगन, रंग-संयोजन, चुस्त और संक्षिप्त भाषा को अपनाया जाता है। विज्ञापन के स्थान और माध्यम का भी खास ध्यान रखा जाता है। विज्ञापनों को बार-बार दोहराया भी जाता है जिससे कि लोगों पर उसकी कुछ समय के लिए एक अमिट छाप पड़ जाए।

विज्ञापन के अनेक और असीमित साधन हैं और नये-नये साधन सामने आ रहे हैं। समाचार-पत्र पत्रिकाएं, पर्चे, पोस्टर, दीवारों और फुटपाथों पर लिखावट, रेडियो, दूरदर्शन, बैनर्स, झंडे-झंडियां, बड़े-बड़े गुब्बारे, छतरियां, टोपियां, जैकेट और दूसरी ऐसी ही पहनने की वस्तुएं कुछ जानी-मानी विज्ञापन-सामग्री का यहां उल्लेख किया जा सकता है। हैलीकॉप्टर से पर्चे गिराकर भी विज्ञापन किया जाता है। कारों जैसे वाहनों और स्कूटरों, मोटरसाइकिलों पर पोस्टर चिपकाकर भी विज्ञापन किया जाता है। बिजली, पानी या टेलीफोन के बिल भी अब इनसे अछूते नहीं रहे।

Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *