Fundamental Rights in Hindi with Duties नागरिक अधिकार एवं कर्तव्य

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Fundamental Rights in Hindi

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जनतंत्र में हमारे नागरिक अधिकार एवं कर्तव्य

भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों एवं उनके द्वारा अनिवार्य माने गए अनेक कर्तव्यों का यथोचित वर्णन और रेखांकन किया है। संविधान के अनुसार, हमारे देश भारत में जिस शासन – पद्धति को स्वीकार किया गया है वह जनतंत्र अथवा प्रजातंत्र की शासन पद्धति है। जनतांत्रिक शासन पद्धति में नागरिकों को अनेक महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किए जाते हैं। साथ ही साथ उनसे अनेक कर्तव्यों के पालन की अपेक्षा भी की जाती है।

संविधान के भाग तीन में नागरिकों को प्रदान किए जाने वाले प्रमुख अधिकारों का उल्लेख किया गया है। संविधान का प्रारूप तैयार करते समय नागरिकों को सात मौलिक अधिकार प्रदान किए गए थे। बाद में सन् 1979 में संविधान संशोधन करके उसमें से ‘सम्पत्ति के अधिकार’ को मात्र कानूनी अधिकार माना गया और उसे मूलअधिकारों की श्रेणी से हटा दिया गया। वर्तमान समय में हमें छ: मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। ये छ: मौलिक अधिकार जो संविधान द्वारा नागरिकों को प्राप्त होते हैं, इस प्रकार से वर्गीकृत किए गये हैं:

1 समानता का अधिकार
2 स्वतंत्रता का अधिकार
3 शोषण के विरुद्ध अधिकार
4 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
5 संस्कृति तथा शिक्षा का अधिकार
6 सांविधानिक उपचारों का अधिकार

इन छ: मौलिक अधिकारों के उप-विभागों का रेखाकंन भी संविधान द्वारा यथोचित रूप से किया गया है। उदाहरणत: स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को छ: अन्य स्वतंत्रताएँ प्रदान की गयी हैं। उसी तरह संवैधानिक उपचार के रूप में जो अधिकार नागरिकों को प्रदान किए गये हैं उनके अन्तर्गत उच्चतम न्यायलय अथवा उच्च न्यायलय नागरिकों के हित में बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण और अधिकार पृच्छा रिट भी जारी कर सकता है।

संविधान के मूल प्रारुप में नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख नहीं किया गया था। 42 वे संविधान संशोधन, सन् 1979 द्वारा संविधान के भाग – 4 (क) के अनुच्छेद 51 (क) में दस मौलिक कर्तव्यों का समावेश किया गया। नागरिकों को प्राप्त होने वाले कर्तव्यों का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है:

1 प्रत्येक नागरिक संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज तथा राष्ट्रगान आदि का पूर्णत: सम्मान करे।
2 वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे।
3 देश की सेवा एवं उसकी रक्षा में संलग्न रहे।
4 धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेद-भाव से परे भारत के लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे।
5 नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह प्राणि मात्र के लिए दयाभाव रखे तथा प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अन्तर्गत सम्पूर्ण वन्य जीवन आता है, उसकी भी रक्षा एवं संवर्धन करे।
6 वह मानववाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे।
7 हिंसा से दूर रहे तथा सार्वजनिक सम्पति की रक्षा करें।
8 स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय-आन्दोलन को प्रेरित करने वाले आदर्शों को हृदयगंम करे।
9 अपने देश की सामूहिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे।

महात्मा गांधी ने नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों के मध्य एक विवेकशील सामंजस्य को अनिवार्य माना था। उन्होंने सचेत करते हुए कहा था – अगर सब लोग सिर्फ अपने हकों पर ही जोर दें और फर्ज़ो को भूल जायं तो चारों तरफ बड़ी गड़बड़ी और अंधा धुंधी मच जाए। यह बात पूर्णत: सत्य है। वस्तुत: प्रत्येक नागरिक अधिकार के साथ उसका एक कर्तव्य भी जुड़ा हुआ है और हमें इनके मध्य सामंजस्य बनाए रखना चाहिए।

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