Information About History of Hawa Mahal in Hindi

Read about Hawa Mahal in Hindi. जयपुर के हवा महल का इतिहास। Information about history of Hawa Mahal in Hindi language. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए जयपुर के हवा महल का इतिहास। History of Hawa Mahal for students. Learn the history of Hawa Mahal in Hindi to score well in your exams.

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History of Hawa Mahal in Hindi

दुनिया में शायद ही ऐसा कोई होगा, जो सैर-सपाटे का कार्यक्रम बनाए और उसे भारत की याद न आए। हमारा देश है ही इतना रंगीन कि दुनिया के कोने-कोने से लोग यहाँ घूमने आते हैं। यूँ तो पूरे भारत में ही घूमने के लिए एक से एक सुंदर जगह हैं, लेकिन राजस्थान की तो बात ही निराली है। यह अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। किसी भी विदेशी सैलानी की भारत यात्रा राजस्थान गए बगैर पूरी नहीं होती।

राजस्थान के हर शहर में ऐतिहासिक महत्त्व की अनेक इमारतें हैं। इन्हीं में से एक है – राजधानी जयपुर का हवामहल। पूरी दुनिया में यह जयपुर की पहचान बन चुका है। इसका निर्माण सवाई प्रताप सिंह ने वर्ष 1799 में करवाया था। कहा जाता है कि प्रताप सिंह भगवान् श्रीकृष्ण के बड़े भक्त थे और इसी के चलते उन्होंने हवामहल को देखने में श्रीकृष्ण के मुकुट का रूप दिया था। श्री लालचंद उस्ताद इसके वास्तुकार थे। यह अपनी मधुमक्खी के छत्ते की डिजाइन के लिए मशहूर है। इसे लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से मिलाकर बनाया गया है, जिसमें सफेद किनारी और मोटिफ के साथ बारीकी से – पच्चीकारी की गई है। शहर की चारदीवारी के बीच बने इस खूबसूरत भवन में 152 खिड़कियाँ और छज्जे हैं। इसमें बने इन हवादार झरोखों के कारण ही इसका नाम हवामहल पड़ा। इसमें कुल पाँच मंज़िलें हैं, जो इसके आधार से 50 फीट की ऊँचाई तक जाती हैं। यह राजपूत और मुगल कला के संगम का शानदार नमूना है।

दरअसल, इसे खास तौर से शाही परिवार की महिलाओं के लिए बनाया गया था, ताकि वे महल से बाहर कदम रखे बिना ही बाजार की चहल-पहल, शाही जुलूसों आदि को देख अपना मन बहला सकें। यही वजह है कि इसे मुख्य बाजार के बीच बनाया गया है। यह सिटी पैलेस का ही एक हिस्सा है और जनानखाने तक जाता है। न केवल महिलाएँ इसके अनगिनत झरोखों से बाहर का दृश्य देख अपना मन बहलाया करती थीं, बल्कि गर्मियों के दिनों में राजपरिवार के दूसरे सदस्य भी इन खिड़कियों और झरोखों से ठंडी हवा का आनंद लेने यहाँ आते थे। वैसे तो यह इतना सुंदर है कि इसके पास से गुजरने वाले हर व्यक्ति की नज़र इस पर ठहर जाती है, लेकिन सुबह-सुबह जब यह सूरज की सुनहरी किरणों में भीगा होता है, तब इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इसका गुलाबी रंग, गुलाबी नगर जयपुर के नाम से पूरी तरह मेल खाता है।

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