Jati Pratha Essay in Hindi जाति प्रथा पर निबंध Indian Caste System Essay in Hindi

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Jati Pratha Essay in Hindi

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Jati Pratha Essay in Hindi 400 Words

“जाति” शब्द दो अक्षर से बना है जिसमें “जा” से जातक ( जन्म देने वाली ) और “ति” से तिरिया ( माता ) होता है। “जा” अर्थात जाति का भावार्थ “जन्म देने वाली माता” होता है । जाति व्यवस्था का हमारे देश भारत में प्राचीन समय से प्रचलित रही है और जाति व्यवस्था का समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये अपनी मजबूत पकड़ आज हमारे समाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था पर बनाये हुए है, जो भारत के लिए बहुत चिंता का विषय है। जाति प्रथा की बुरी व्यस्था में भारत बहुत बुरे तरीके से फसा हुआ है।

यह माना जाता है कि लगभग 1500 ईसा पूर्व में आर्यों के आगमन के साथ ये सामाजिक व्यवस्था अस्तित्व में आयी। उस समय स्थानीय आबादी को नियंत्रित करने के लिए इसकी शुरुआत कि गई जिसमे आर्यों ने सबकी मुख्य भूमिकाएं तय की और उन्हें लोगों के समूहों को सौंपा। लोगों को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र – चार अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन श्रेणियों में से प्रत्येक के अंतर्गत आने वाले लोग निम्न प्रकार से है।:

ब्राह्मण – पुजारी, शिक्षक एवं विद्वान
क्षत्रिय – शासक एवं योद्धा
वैश्य – किसान, व्यापारी
शूद्र – मजदूर

हिंदू धर्मशास्त्रियों के अनुसार, यह प्रणाली हिंदू धर्म के भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा अस्तित्व में आयी। हिंदू धर्मशास्त्रियों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि समाज में पुजारी एवं और शिक्षक वर्ग ब्रह्मा के सिर से आए और दूसरी श्रेणी के लोग जो क्षत्रियो हैं वे भगवान की भुजाओं से आए। तीसरे वर्ग के लोग किसानो और व्यापरियों के बारे में कहा गया कि वे भगवान की जांघों और चौथी श्रेणी के लोग मजदूर ब्रह्मा के पैरों से आए हैं।

भारतीय संविधान ने जाति व्यवस्था के आधार पर भेदभाव पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए कोटा प्रणाली की शुरूआत की गई। भारत के संविधान ने अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया है, पर हाल ही के वर्षों में जाति-प्रतिबंधों में कुछ हद तक छूट देखी गई है। हालांकि, कोई यह नहीं कह सकता कि जाति-व्यवस्था की बुराई पूरी तरह समाप्त हो गई है। हम आशा करते हैं कि एक समय आएगा जब आजीविका अर्जित करने के मामले में पूर्ण समानता हमारे देश के सभी नागरिकों को मिलेगी।

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