जवाहरलाल नेहरू पर निबंध और जीवन परिचय Information About Jawaharlal Nehru Essay in Hindi & Biography in Hindi

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Information About Jawaharlal Nehru in Hindi

hindiinhindi Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi 300 Words

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। 15 वर्ष की आयु में नेहरू जी को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया। सन 1912 में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए। 1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सत्र में बंध गए।

स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रहा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी। उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे। राजसी ठाठ-बाट छोडकर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए। असहयोग आदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया।

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजो की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। बच्चों के चाचा नेहरु और भारत के पहले प्रधानमंत्री की देश की सेवा करते हुए हृदय घात की वजह से 27 मई 1964 को निधन हो गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनाने में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

Biography of Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री और हम सबके प्यारे चाचा नेहरू उन नेताओं में से एक थे, जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय जाता है। श्री नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर वकील थे। उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी था। श्री नेहरू ने विदेश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। 1912 में वे भारत लौटकर वकालत करने लगे।

चार साल बाद 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। इसके बाद वे छोटी-मोटी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ने लगे, लेकिन राजनीति से उनका असल जुड़ाव 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद हुआ। वे गांधीजी की शांतिपूर्वक प्रतिरोध करने की नीति से बहुत प्रभावित हुए। वहीं गांधीजी ने भी उनमें भारत कीं राजनीति का भविष्य देखा। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद श्री नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। तीन साल तक पार्टी के महासचिव रहने के बाद दिसंबर, 1929 में लाहौर अधिवेशन के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। इसी अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

1935 को भारत सरकार अधिनियम बनने के बाद हुए चुनावों में उन्होंने पार्टी के लिए बढ़-चढ़कर प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने लगभग हर राज्य में अपनी सरकार बनाई और वे एक प्रभावशाली राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

1945 में जेल से बाहर आने पर उन्होंने देश की आज़ादी को लेकर ब्रिटिश सरकार से हुई बातचीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया और पं० नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। अगले 17 सालों, यानी 1964 तक वे इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने देश के सामने आने वाली हर चुनौती का बहुत सूझबूझ से सामना किया। ये उनकी नीतियों का ही कमाल था कि भारत ने कृषि, विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में खूब प्रगति की। पंचवर्षीय योजनाओं से लेकर भारत की विदेश नीति तय करने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। 27 मई, 1964 को हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

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Quotes of Jawaharlal Nehru in Hindi

Action to be effective must be directed to clearly conceived ends।
कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ठ लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।

Citizenship consists in the service of the country.
नागरिकता देश की सेवा में निहित है।

ESSAY ON JAWAHARLAL NEHRU IN HINDI

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 300 Words

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 4 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. मोती लाल नेहरू था, जो प्रसिदध वकील थे तथा उनकी मां का नाम स्वरुप्रानी था। जवाहरलाल नेहरू की परवरिश एक राजकुमार की तरह हुई थी। एक अंग्रेजी ट्यूटर द्वारा घर पर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया। उन्होंने इंग्लैंड से कानून में अपनी डिग्री ली और बैरीस्टर के रूप में भारत लौट आये।

जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भेजा गया। उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता के लिए भारत की लड़ाई का इतिहास है। उन्होंने कई सालों के लिए महा सचिव के रूप में कांग्रेस की सेवा की। वह एक महान राजनीतिक नेता थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्होंने पांच साल की योजना शुरू कर दी थी और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण किया था। अंत में, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें बच्चो से बात करना, उनके साथ रहना बहुत पसंद था और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे। बच्चो के प्रति उनके इसी प्रेम के कारण, हमारे देश में हर साल 14 नवंबर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसे स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है तथा कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

जवाहरलाल नेहरू भारत के महानतम नेताओं में से एक थे और भारतीय संस्कृति के प्रेमी थे। वह पंचशीला के संस्थापक थे, जो मानवीय अच्छाई और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखता है और जिसमे नेहरू जी ने सुरक्षा और व्यवस्था के सिंधान्तो का जवाब दिया। उन्होंने “आत्मकथा”, “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” और “ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं।

27 मई 1964 को नेहरू जी का निधन हो गया। चाचा नेहरू जी की मौत दुनिया के सभी शांतिप्रिय लोगों के लिए एक बड़ा झटका था। राष्ट्र ने अपना एक महान आदमी और महान राष्ट्रवादी खो दिया है जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 500 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1898 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें हम चाचा नेहरू के रूप में भी जानते हैं। उनका जन्मदिन, देश के बच्चों के लिए उनके महान प्रेम और स्नेह के कारण बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक, बच्चे देश के उज्ज्वल भविष्य हैं। नेहरुजी अच्छी तरह से जानते थे कि देश का उज्ज्वल भविष्य बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर ही निर्भर करता है।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और माता का नाम स्वरूपरानी थूसु था। उनके पिता इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। इसलिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। नेहरू जी ने वहां वकालत पूरी की और 1912 में एक वकील के रूप में भारत लोट आए।

भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी से मिले। महात्मा गांधीजी से मिलने के बाद नेहरु जी – गांधी जी से बहुत प्रभावित हुए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान जवाहरलाल नेहरू जी को कई बार जेल भेजा दिया गया। इस प्रकार, पंडित नेहरू जी ने भारत की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया था।

1916 में उन्होंने 27 साल की उम्र में कमला कौल (कमला नेहरू) से शादी की और उनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान राजनीतिक नेता थे और वह एक बहुत ही अनुकूल व्यक्ति थे। नेहरू जी हमेशा बच्चों को देशभक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें कड़ी मेहनत और बहादुरी से काम करने का सुझाव देते थे, क्योंकि नेहरु जी बच्चों को देश का भविष्य मानते थे।

इस प्रकार, 27 मई, 1964 को, भारत की सेवा के दौरान, दिल का दौरा पड़ने के कारण नेहरू जी का निधन हो गया। दुनिआ भर के शांतिप्रिय लोगो पर इनकी मौत का गहरा असर पड़ा, क्योकि उन्होंने एक ऐसा शांतिप्रिय नेता खो दिया था जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा। उनकी मृत्यु के बाद, हर साल 14 नवंबर को, उनका जन्मदिन एक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चाचा नेहरू को उनके बलिदान और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 800 Words

स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद के प्रसिद्ध आनन्द भवन में हुआ था। यह भवन उन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। देश के सभी बड़े नेता समय-समय पर यहीं एकत्रित होते थे और अपनी रणनीति तय करते थे। बालक नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अपने समय के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के नेता थे। इनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। इनकी दो बहिनें-विजय लक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थीं। जवाहरलाल नेहरू का पालन-पोषण बड़ी सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। 15 वर्ष की आयु में इन्हें उच्च कानूनी शिक्षा प्राप्त कर वैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। लंदन में इन्होंने हैरे तथा कैम्ब्रिज में अध्ययन किया और इनर टैम्पल में कानून का प्रशिक्षण पूरा किया। अंततः 1912 में वे स्वदेश लौट आए।

सन् 1916 में इनका विवाह कमला कॉल से हो गया। नेहरू जी की गाँधी जी से मुलाकात से उनके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया। 1916 में वकालत छोड़कर वे स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। गाँधी जी के नेतृत्व ने नेहरू जी के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया। इसके पश्चात् उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 19 नवम्बर, 1919 को बेटी इन्दिरा का जन्म हुआ। 1936 में कमला नेहरू की मृत्यु पर नेहरू जी को बड़ा धक्का लगा परन्तु वे देश की आजादी के संग्राम में लगे रहे। 1918 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस का सदस्य बनाया गया और फिर वे जीवन भर इसके सदस्य बने रहे। उन्होंने भारत का व्यापक दौरा किया और अपनी आंखों से देश की दयनीय तस्वीर देखी।

जलियांवाला बाग की त्रासदी और अत्याचार ने तो सभी देशवासियों को गहरा आघात पहुंचाया। नेहरू जी भी इससे बड़े आहत हुए। सन् 1923 में वे पहली बार जेल गये। 1926 में उन्होंने यूरोप का भ्रमण किया तथा वहां के स्वतन्त्र देशों के संविधान, कार्यप्रणाली आदि का अध्ययन किया। 1927 में वे भारत लौट आये और पुन: स्वतन्त्रता-संग्राम में संलग्न हो गये। 1929 में लाहौर अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का प्रधान बनाया गया। इसी ऐतिहासिक अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। शीघ्र ही नेहरू जी, गाँधी जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी और देश के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे।

9 अगस्त, 1942 को मुम्बई अधिवेशन में ऐतिहासिक ”भारत छोडो” आन्दोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तुरन्त बाद गाँधी जी, नेहरू जी व अन्य सभी बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। गाँधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देश को दिया और स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने पूरे उफान पर पहुंच गया। इसी बीच नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज का गठन कर लिया था। दूसरे विश्व युद्ध में विनाश का तांडव सर्वत्र छाया हुआ था। अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा और भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हो गया, परन्तु जाते-जाते भी अंग्रेज देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभाजन करने में सफल रहे।

नेहरू जी स्वतन्त्र भारत के प्रधान मंत्री बनाये गये। 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी जी की हत्या ने सारे भारत को गहरे शोक में डुबो दिया। नेहरू जी को इससे बड़ा आघात लगा परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपने आप को संभाल लिया और वे पुन: अपने कार्यों में सक्रिय हो गये। नेहरू जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई परिवर्तन देखे परन्तु कभी हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे आशावादी थे। सन् 1960 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (यू. एन. ओ.) में एक बड़ा ओजस्वी भाषण दिया और विश्वशांति की जोरदार वकालत की।

नेहरू जी के व्यक्त्वि के कई आयाम थे। 17 वर्ष की लम्बी अवधि तक वे देश को समृद्ध, शिक्षित, गतिशील व पूर्णत: स्वावलम्बी बनाने के प्रयत्न में लगे रहे। वे महान मानवतावादी तथा सहिष्णु स्वभाव के नेता थे और जनता की सेवा को ही अपना परम धर्म मानते थे। देश के लोगों में वे बहुत लोकप्रिय थे और सारी जनता उन्हें बड़ा आदर व प्यार करती थी। वे एक बहुत अच्छे वक्ता, लेखक और इन्सान थे। उनके भाषण सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। बच्चों से उनको असीम प्यार था। उन्हीं की आंखों में वे भारत का स्वर्णिम भविष्य देखते थे। बहुत व्यस्त रहने के बावजूद भी वे बच्चों से मिलने का समय निकाल लेते थे। बच्चों में वे स्वयं भी बच्चे बन जाते थे।

उनका जन्म दिन 14 नवम्बर उनकी इच्छा के अनुसार “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा और आज भी मनाया जाता है। इस दिन देश के सभी बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को याद करते हैं, उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं। यदि पण्डित नेहरू राजनीति में नहीं होते तो महान् लेखक बनते। लिखने और पढ़ने का उन्हें बड़ा शौक था। जब भी समय मिलता तो वे पुस्तकें पढ़ते थे या फिर सृजन करते। वर्ल्ड हिस्ट्री, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ऑटोबाओग्राफी, लैटर्स फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर, ए बन्च ऑफ लैटर्स आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। अंग्रेजी भाषा पर उनकी असाधारण पकड़ थी। विश्वशांति के लिए उन्होंने अनेक प्रयत्न किये। पंचशील के सिद्धांतों का प्रतिपादन इन में से एक था। इन सिद्धान्तों का पालन कर सहज ही विश्व में शांति और व्यवस्था को बनाये रखा जा सकता है।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 1000 Words

भूमिका

काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के “चाचा नेहरू” विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जीवन परिचय

जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन् 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलतः पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलत: नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छः मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेज़ों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कांन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमन्त्री के रूप में

नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह डट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए – 1952 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का

सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए और बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री सम्बन्ध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

व्यक्तित्व

जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे। और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे भुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्व राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी तथा ‘भारत की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था -“भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

उपसंहार

भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में – “अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचे तो मैं चाहँगा कि वे कहें – वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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