One Nation One Election Essay in Hindi एक राष्ट्र एक चुनाव पर निबंध

One Nation One Election Essay in Hindi. एक राष्ट्र एक चुनाव पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और विद्यार्थियों के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव पर निबंध हिंदी में।

One Nation One Election Essay in Hindi एक राष्ट्र एक चुनाव पर निबंध

hindiinhindi One Nation One Election Essay in Hindi

One Nation One Election Essay in Hindi 500 Words

‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’

परिचय

देश में लोकसभा चुनावों के बाद सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और उपचुनावों मिलाकर कई चुनाव होते हैं। ऐसे में इन चुनावों का खर्चा, व्यवस्था और देखरेख के लिए चुनाव आयोग के ऊपर पड़ने वाले भार को कम करने के लिए वन नेशन – वन इलेक्शन के मुद्दे को उठाया जा रहा है। वन नेशन – वन इलेक्शन के अंतर्गत 5 साल में सिर्फ एक बार चुनाव होंगे जिसमें लोकसभा और विधानसभा दोनों शामिल होंगे। यानी सभी राज्यों और लोकसभा चुनाव एक साथ एक बार में आयोजित किए जाएंगे।

मुख्य भाग

7 सितंबर को मोदी सरकार ने माइगव वेब पोर्टल पर इस विषय पर राष्ट्रीय बहस की शुरुआत की, जो आम नागरिकों को शामिल करने का एक डिजिटल मंच है। सभी नागरिकों को 15 अक्तूबर तक अपनी राय जाहिर करने के लिए कहा गया था। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 3,500 से ज्यादा लोग अपना जवाब भेज चुके हैं। हर कोई इस बात से सहमत है कि साथ-साथ चुनाव कराने का विचार अच्छा है।

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के एक अनुमान के अनुसार, 2014 के लोकसभा चुनाव पर 35,000 करोड़ रु. का खर्च आया था, जो चुनाव आयोग की ओर से खर्च की गई रकम का करीब 10 गुना था। चुनाव के भारी-भरकम खर्च को देखते हुए चुनाव व्यवस्था में सुधार करना बेहद जरूरी हो गया है ताकि पारदर्शिता लाई जा सके और चुनाव का खर्च कम किया जा सके।

आलोचक

विपक्ष इसे देश के संघीय ढांचे पर चोट की तरह देख रहा है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री ये प्रस्ताव शायद आसानी से कबूल न करें। एक सवाल ये भी है कि अगर किसी राज्य की सरकार गिर गई तो वहां क्या होगा? क्या अगले लोकसभा चुनाव तक राष्ट्रपति शासन लगा रहेगा? इससे फिर संघीय ढांचे पर सवाल उठेगे।

पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा था कि ‘इस प्रस्ताव को देश में अभी लागू करना संभव नहीं होगा। भारत एक संघीय लोकतंत्र है, कोई एकात्मक राज्य नहीं। अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की सरकारें हैं, एक साथ चुनाव कराना मुमकिन नहीं होगा।’

निष्कर्ष

अब देखना यह है कि केंद्र और राज्यों में एक साथ चुनाव कराने की बहस किस नतीजे पर पहुंचती है जहां हर कोई इस बात से सहमत है कि यह विचार अच्छा है और इससे पैसा और वक्त की बचत होगी, काम के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा, वहीं एक चिंता है कि क्या इससे संविधान की मूल भावना को चोट पहुंचती है। लेकिन संविधान संशोधन और सियासी सहमति से इन मतभेदों को दूर किया जा सकता है।

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