Brief Story of Ramayana (Hindu Holy Book) – विष्णु पूरी का नज़ारा

 

विष्णु पूरी का नज़ारा – Vishnu Puri Ka Nzara

Scene Number 4 नारद जी का विष्णु जी को बताना की मेने कामदेव को जीत लिया

पात्र : नारद और विष्णु जी

Brief Story of Ramayana (Hindu Holy Book) – विष्णु पूरी का नज़ारा

  नारद : श्री हरी के चरणों में दास का प्रणाम स्वीकार करो. विष्णु : आईये नारद जी, कहिये पर्सन चित तो हो. शेयर – तुमने की दया बहुत दिनों से, मुनि वर किया था करना ऐसा, बतलाओ तुम हुआ क्या, नारद जी साधारण ऐसा. नारद : हे रमा पते, मुझ पर आपकी अपार किरपा, हे भगत वत्सल, आज मेने कामदेव को जीत लिया हे. में श्री भागीरथी जी के किनारे एक गुफा में आपका ध्यान कर रहा था. हे स्वामी मेरे दर से, महाराज इन्दर ने, मेरा टप्प भांग करने के लिए कामदेव को भेजा. मगर कामदेव मेरा टप्प भांग न कर सका. और मेरे चरणों में आकर कहने लगा के मुझसे गलती हो गयी, हे प्रभु मेने सब गन्धर्वो अप्सराओ सहित कामदेव को जीत लिया हे. विष्णु : (आगे बढ़ कर) आज नारद जी के हिरदे में अभिमान रुपी बिरिक्ष पैदा हो गया हे, में इस अभिमान को जड़ से निकाल दूंगा, जिस से मेरे भगतो का हित्त हो क्योकि नारद जी मेरे परम भगत हे. शेयर – हे नारद जी जिन के मन काम विराग नहीं, वो उसकी चेष्टा करता हे, तुम भ्रम्चारी प्रभु भगत हो, क्या कामदेव कर सकता हे. नारद : अच्छा महाराज नमो नारायण. (विष्णु भगवन ने अपनी माया से श्रीरंग बेर पूर की रचना करना, महाराज सिल्लिनिधि ने अपनी कन्या विश्व मोहिनी का, स्वम्बर रचना)

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