Samrath ko nahi Dosh Gosain in Hindi

Essay on Samrath ko nahi Dosh Gosain in Hindi. Good to know more about Samrath ko nahi Dosh Gosain for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. समरथ को नहिं दोष गुसाईं पर निबंध।

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Essay on Samrath ko nahi Dosh Gosain in Hindi

विचार – बिंदु – • सूक्ति का अर्थ • शक्तिशाली को दंड कोई नहीं देता • नियम – कानून शक्तिशाली के सामने लाचार • समर्थ व्यक्ति मनमानी से जीता है • बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी शान से जीते हैं।

इसका अर्थ है – ‘समर्थ व्यक्ति का कोई दोष नहीं होता।’ व्यंग्य यह है कि शक्तिशाली को दंड देने का साहस किसी में नहीं होता। सारे दोष कमज़ोरों में ही ढूँढे जाते हैं। दूसरे शब्दों में, शक्तिशाली जन मनमाने ढंग से जीते हैं। उन पर कोई रोक-टोक नहीं होती। कोई नियम-कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। जब भी कोई समर्थ व्यक्ति बुरा काम करता है तो सारा शासन-प्रशासन उसकी अनदेखी करने या उस पर लीपापोती करने में जुट जाता है। स्वयं समर्थ व्यक्ति भी अपनी गलती स्वीकार करने की बजाय अपना दोष औरों पर डालकर एक तरफ हो जाता है। वही गलती कोई कमजोर कर दे तो उसे सूली पर लटका दिया जाता है। देश में अरबों-अरबों के घोटाले हुए, किंतु किसी बड़े नेता को दंड नहीं मिला। लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला करके भी मजे-से मंत्री बने बैठे हैं। किंतु कुछ छोटे सांसदों ने प्रशन पूछने के नाम पर रिश्वत ली तो उन्हें संसद से निकाल दिया गया। इसीलिए अनुभव यही कहता है –

न भ्रष्ट होना पाप है, न चोर होना पाप है।
सच तो है यह बात कि, कमजोर होना पाप है।।

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