Information About History of Sarojini Naidu in Hindi सरोजिनी नायडू की जीवनी

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History of Sarojini Naidu in Hindi

सरोजिनी नायडू को स्वरकोकिला के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक शिक्षक और दार्शनिक थे, जबकि माँ सुंदर देवी एक कवयित्री। कहने को तो सरोजिनी एक बंगाली परिवार में जन्मी थीं, लेकिन वे पूरे भारत की बेटी थीं। वे शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थीं। बारह साल की उम्र में उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की और पूरे देश में मशहूर हो गईं। जब वे सोलह साल की हुईं, तब उन्हें इंग्लैंड पढ़ने भेज दिया गया। वहाँ वे कवि और विचारक आर्थर साइमंस से मिलीं। तीन साल बाद सरोजिनी भारत लौट आईं, पर आर्थर से उनकी दोस्ती बनी रही। आर्थर को सरोजिनी की लिखी कविताएँ बहुत पसंद आईं और उन्होंने उन्हें छपवाने का सुझाव दिया।

1905 में सरोजिनी का पहला कविता संग्रह ‘गोल्डन शृशोल्ड’ छपा। इसे लोगों ने खूब पसंद किया। फिर एक के बाद एक करके सरोजिनी के कई कवितासंग्रह छपे, जिनमें ‘द बर्ड ऑफ टाइम’, ‘ब्रोकन विंग्स’, ‘फीस्ट ऑफ यूथ’ मुख्य हैं। सरोजिनी की कविताओं के बोल दिल को छु जाने वाले और बहुत मधुर होते थे, जिन्हें गीत के रूप में गाया भी जा सकता था। इसलिए उन्हें स्वरकोकिला पुकारा जाने लगा। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और रवीन्द्रनाथ टैगोर उनके प्रशंसकों में शामिल थे। सरोजिनी ने डॉ० गोविंदुराजुलु नायडू से विवाह किया।

1916 में सरोजिनी महात्मा गांधी से मिलीं। इसके बाद उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन के समय वे गांधीजी के, साथ 21 महीने जेल में भी रहीं। इसके अलावा उन्होंने पूरे देश में घूम-घूमकर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में भी बताया। आजादी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। वे देश की पहली महिला राज्यपाल थीं। 2 मार्च, 1949 को अपने दफ्तर में काम करते-करते ही दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

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