यदि मैं वैज्ञानिक होता निबंध Yadi Main Vaigyanik Hota Essay in Hindi – If I was a Scientist

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Yadi Main Vaigyanik Hota Essay in Hindi

Yadi Main Vaigyanik Hota 800 Words

आज के युग को वैज्ञानिक युग कहा जाता है। इस युग में किसी व्यक्ति का वैज्ञानिक होना सचमुच बड़े गर्व और गौरव की बात है। यों अतीत काल में भारत ने अनेक महान वैज्ञानिक पैदा किए हैं और आज भी विश्व-विज्ञान के क्षेत्र में अनेक भारतीय वैज्ञानिक क्रियाशील हैं। अपने तरह-तरह के अन्वेषणों और आविष्कारों से वे नए मान और मूल्य भी निश्चय ही स्थापित कर रहे हैं। फिर भी अभी तक भारत का कोई वैज्ञानिक कोई ऐसा अदभूत एवं अपने-आप में एकदम नया आविष्कार नहीं कर सका, जिस से भारत को ज्ञान-योग के क्षेत्रों के समान विज्ञान के क्षेत्र का भी महान एवं मार्गदर्शक देश बन पाता। इसी प्रकार के तथ्यों के आलोक में अक्सर मेरे मन-मस्तिष्क में यह आन्दोलित होता रहता है कि-यदि मैं वैज्ञानिक होता?

यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो इस क्षेत्र में नवीन-से-नवीन क्षितिजों के उद्घाटन का प्रयास करता, ताकि भारत वह मान-सम्मान प्राप्त कर सके जिसका कि वह अतीत काल में न केवल दावेदार बल्कि सम्पूर्णतः अधिकारी रहा है। मैं आर्यभट्ट और वराह मिहिर जैसे नक्षत्र-विज्ञानियों की परम्परा को आगे बढ़ाने का भरसक प्रयास करता, ताकि मानवता के भाग्य एवं मस्तक की लकीरों को अपनी इच्छा से, नए ढंग से लिखा जा सके। मैं इस प्रकार की वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार करता कि जिस से मानव-जाति का वर्तमान तो प्रगति एवं विकास करता हुआ सुखी-समद्ध बन ही पाता, भविष्य भी हर प्रकार से सुरक्षित रह सकता। मानव-मानव के दुःखदर्द का कारण न बनकर उसके आँसू पोंछ कर उसकी वास्तविक उन्नति में सहायक बन पाता।

सभी जानते हैं कि निहित स्थार्थों वाले छोटे-बड़े अनेक देश आज विज्ञान की गाय के दुधारू स्तनों से जोंक की तरह चिपक कर उसका और उसके साथ-साथ सारी मानवता का भी रक्त-चूस कर अपने निहित स्वार्थ पूर्ण करने पर तुले हुए हैं। इस तरह के देश और उनके वैज्ञानिक उचित-अनुचित प्रत्येक उपाय एवं साधनों से वे सारे संसाधन प्राप्त करने की चेष्टा करते रहते हैं कि जिन के द्वारा घातक और हर तरह के घातक शस्त्रों का निर्माण संभव हुआ करता है। ऐसे देशों और लोगों के लिए निःशस्त्रीकरण जैसे मुद्दों और सन्धियों का कोई अर्थ, मूल्य एवं महत्त्व न है और न कभी हो ही सकता है। वे तो दूसरों का सर्वनाश करके भी अपने तुच्छ स्वार्थ पूर्ण करने पर आमादा हैं। यदि मैं वैज्ञानिक होता. तो किसी ऐसी वस्तु या उपायों के अनुसन्धान का प्रयास करता कि जो इस तरह के देशों-लोगों के इरादों का मटियामेट कर सकते। उनके सभी साधनों और निर्माणों को भी वहीं प्रतिबन्धित कर एक सीमा से आगे बढ़ पाने का कतई कोई अवसर ही न रहने देते।

आज संसार के सामने कई प्रकार की विषम समस्याएँ उपस्थित हैं। बढ़ती आबादी और उसके भरण-पोषण करने वाले संसाधनों के निरन्तर कम होते स्रोत, मॅहगाई, बेरोजगारी, बेकारी, भूख-प्यास, पानी का अभाव, कम होते ऊर्जा के साधन और निरन्तर सूखते जा रहे स्रोत, पर्यावरण का प्रदूषित होना, तरह-तरह के रोगों का फूटना, अधिक वर्षा-बाढ या सूखा पड़ने के रूप में प्रकृति का प्रकोप; इस तरह आज के उन्नत और विकसित समझे जाने वाले मानव-समाज के सामने भी तरह-तरह की विषम समस्याएँ उपस्थित हैं। यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो निश्चय ही इस तरह की समस्याओं से मानवता को छुटकारा दिलाने के उपाय करने में अपनी सारी प्रतिभा और शक्ति को खर्च कर डालता। आज के अन्य अनेक वैज्ञानिकों के समान मारक और पर्यावरण तक को प्रदूषित करके रख देने वाले शस्त्र बनाने के पीछे भागते रह कर अपनी प्रतिभा, शक्ति, समय और घाव करने में नहीं, बल्कि उन साधनों का दुरुपयोग कभी न करता। मेरा विश्वास पहले से ही अनेक कारणों से दुःखी मानवता के तन पर और घावों के लिए मरहम खोज कर उन पर लगाने में है; ताकि सभी तरह के घाव सरलता से भर सकें।

यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो हर प्रकार से शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए ज्ञान-विज्ञान के साधनों का उपयोग करने का आदर्श विश्व-वैज्ञानिक-समाज के सामने प्रतिष्ठापित करता ताकि उससे प्रभावित होकर छोटी-बड़ी सभी वैज्ञानिक प्रतिभाएँ शान्तिपूर्ण कार्यों को प्रोत्साहन देने की दिशा में उन्मुख हो पातीं। संसार के सामने आज जो अन्न-जल के अभाव का संकट है, कल-कारखाने चलाने के लिए बिजली या ऊर्जा का संकट है, वैज्ञानिक होने पर मैं इन जैसी अन्य सभी समस्याओं से संघर्ष करने का मोर्चा खोल देता, ताकि मानवता को इस तरह की समस्याओं से नजात दिलाया जा सके। इसी तरह आज विश्व के युवा वर्गों के सामने बेरोजगारी की बहुत बड़ी समस्या उभर कर कई तरह की अन्य बुराइयों की जनक बन रही है। यदि मैं वैज्ञानिक होता, तो इस तरह के प्रयास करता कि रोजगार के अधिक-से-अधिक अवसर सुलभ हो पाते। हर काम करने के इच्छुक को इच्छानुसार कार्य करने का अवसर एवं साधन मिल पाता। फलतः अन्य अनेक प्रकार की बुराइयों का स्वतः ही परिहार हो जाता।

वैज्ञानिक बन कर मेरी इच्छा नाम, यश और धन कमाने की कतई नहीं है। मैं तो बस हर सम्भव तरीके से मानवता का उद्धार एवं विस्तार चाहता हूँ | मेरा विश्वास है कि थोड़ा ध्यान देने से आज का विज्ञान और वैज्ञानिक ऐसा निश्चय ही कर सकते हैं।

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