Desh Ke Prati Hamara Kartavya Essay in Hindi देश के प्रति हमारा कर्त्तव्य निबंध

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Desh Ke Prati Hamara Kartavya Essay in Hindi

Desh Ke Prati Hamara Kartavya

Desh Ke Prati Hamara Kartavya Essay in Hindi 600 Words

देश के प्रति हमारा कर्त्तव्य निबंध

प्रस्तावना – हमारा भारत देश दुनिया के सभी अनमोल रत्नों में से एक है। हमे भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। भारत को इंडिया तथा हिन्दुस्तान नाम से भी जाना जाता है। मेरे देश की जनसंख्या लगभग 1 अरब 2 करोड़ है। भारत में अनेक भाषाओं और बोलियों को बोलने वाले लोग निवास करते है।

भारत की विशेषता – हमारा देश भारत अपने – आप में ही विशेष्य है क्योंकि भारत ने दी विश्व को सभी राह दिखाए है। भारत ने ही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की शुरुआत की थी। भारत ने आयुर्वेद करीब 2500 साल पहले ही खोज लिया था। भारत में किसी भी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा पोस्ट ऑफिस है। भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिआ का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारत की जनसँख्या विश्व में दूसरे नंबर पर आती है। जाने-माने खेल शतरंज की खोज भी किसी और ने नहीं बल्कि भारत ने ही की थी।

भारत ने अंकीय प्रणाली शुरु की और गुप्ता वंश के महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने शून्य का आविश्कार सन् 1500 साल पहले किया। भारत में विश्व की पहली विश्वविद्यालय तक्षशिला बनी, जिसमें दुनिया भर के लोगो ने शिक्षा ग्रहण करी। सन् 1896 तक भारत दुनिआ भर में हीरो के निर्यात करने वाला देखा था।

भारत में विभिन्न प्रकार के लोग निवास करते है। वे सभी विभिन्न धर्मो को मानते हैं। भारत ने धर्म को अपनी गोद में शरण दी है। भारत को संसार का आध्यात्मिक गरु कहा जाता है क्योकि यही से आध्यात्मिक जान पूरी दुनिया को प्राप्त हुआ है। विश्व का सबसे प्रसिद एवं प्राचीन कोहिनूर हीरा भारत का ही है। सबसे खास बात तो यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है। दुनिया का सबसे पुराना मंदिर भी सोमनाथ धाम भारत में स्तिथ हैं। भारत में अनेक भाषाएँ है –

अनेकता में एकता ही हमारी शान है। इसीलिए तो मेरा भारत महान है।

भारतीय होने के कर्त्तव्य – देश के किसी भी व्यक्ति के कर्तव्यों का आशय उसके सभी आयु वर्ग के लिए उन जिम्मेदारिनों से है जो वो अपने देश के प्रति रखते है। देश के प्रति अपनी जिम्मेवारियों को निभाने की याद दिलाने के लिए कोई विशेष समय नहीं होता, हालाकि प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है कि देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे, और आवश्यकता के अनुसार उनका निर्वाह या निष्पादन अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करे। एक व्यक्ति के लिए राष्ट्र के प्रति बहुत से कर्त्तव्य होते है जैसे आर्थिक विकास, एवं वृद्धि, साफ-सफाई सुशासन, गुणवता की शिक्षा, गरीबी मिटाना, लिंग समानता लाना, सभी के लिए आदर-भाव रखना, वोट डालने जाना और भी बहुत से।

देशप्रेम की भावना इंसान के हदय को देशभक्ति की ओर प्रोत रखती है और समय आने पर वह अपना देश प्रेम बाहर दिखलाता है।
कई संस्थान 15 अगस्त और 26 जनवरी को समाहरोह एवं कार्यक्रम आयोजित करते है, उनमें देशभक्ति गीत गई जाते हैं और उस दौरान देशभक्ति की भावना आसपास के पूरे देश को घेरी रहती हैं। लेकिन क्या यह असती देशभक्ति है? नही ऐसा वातावरण सामान्य रूप से सदैव होना चाहिए ना कि केवल उन विशेष दिनों के आसपास ही। तभी जाके यह भावनाएं हमेशा के लिए हर नागरिक के दिल में बैठ जाएगी। वो देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में कार्य करते हैं। एक सच्या देशभत है जो अपने देश को स्तिथि सुधारने में जितना हो सके उतनी कड़ी मेहनत कर अपना पूर्ण योगदान दे सके। एक सच्चा देशभगत न केवल अपने देश के निर्माण के दिशा में काम करता है बल्कि उसके आस-पास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।

उपसंहार – देशवादित की भावना देश के प्रति अत्यधिक प्रेम की भावना को परिभाषित करता है। अतीत मे हमारे देश में कई देश भगत थे और आज भी बहुत देशभगत मौजूद है। भारत हमारी नज़र में सबसे महान देश है।

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