Essay on Winter Season in Hindi शीत ऋतु पर निबंध

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Essay on Winter Season in Hindi शीत ऋतु पर निबंध

Essay on Winter Season in Hindi

Essay on Winter Season in Hindi 300 Words

भारत में तीन मुख्य ऋतु है। ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु और मॉनसून। शरद ऋतु साल का सबसे ठंडा मौसम होता है, जो दिसंबर महीने में शुरू होता है और मार्च के महीने में समाप्त होता है। शित ऋतु में दिन छोटे और रात बड़ी होती है और शाम को अंधेरा बहुत जल्दी हो जाता है। सर्दियों का मौसम बहुत ही अच्छा और सुहावना मौसम होता है। सूर्य की गर्मी जो लोगो को ग्रीष्म ऋतु में अच्छी नहीं लगती वह गर्मी सभी लोगों को शीत ऋतु में अत्यंत प्रिय लगने लगती है।

शीत ऋतु में सुबह के समय टहलना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है। इस मौसम में लोग अधिक ऊर्जावान और क्रियाशील रहते है। शरद ऋतु स्वास्थ्यवर्धक फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों का मौसम है। यह मौसम लंबी यात्रा और पर्यटन पर जाने के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु उत्तम होती है क्योंकि इस ऋतु में पाचन शक्ति मजबूत होती है। शीत ऋतु में लोग गर्म कॉफी और चाय पीना पसंद करते है।

शीतकाल में पढ़ाई खुब होती है। विद्यार्थी इन्हीं दिनों पढ़ाई की सारी कसर पूरी कर लेते है। शीत ऋतु में कीटाणुओं का प्रकोप कम हो जाता है। शीत ऋतु में किसान अधिक कार्य कर पाता है क्योंकि उसको गर्मी और धूप को सहना नहीं पड़ता है। शीत ऋतु में लोग आराम करना पसंद करते है। शीत ऋतु गरीबों के लिए बहुत अधिक परेशानियों का निर्माण करता है क्योंकि उनके पास गर्म कपड़े और रहने के लिए पर्याप्त आवासों का अभाव होता है।

शीत ऋतु में कोहरे के कारण बहुत से एक्सिडेंट भी होते है। रेलयात्रा और हवाई यात्राएं पर इसका खासा असर दिखाई पड़ता है।

Essay on Winter Season in Hindi 300 Words

सर्दी का मौसम दशहरे का त्योहार आने से दस-पन्द्रह दिन पहले सर्दी आरम्भ हो जाती है। कार्तिक, अगहन (मग्घर), पौष और माघ-चार महीने सर्दी रहती है। जाड़ा बढ़ते-बढ़ते अरहर और मटर के पौधों में लाल-पीले फल लगने लगते हैं।

अलसी के खेत नीले फलों से लद जाते हूँ। गन्ने के खेत में गन्ने इतने ऊँचे हो जाते हैं कि उनके पीछे खड़ा आदमी दिखाई नहीं देता। सर्दी आरम्भ होते ही खली छत पर सोने वाले कमरों के अन्दर सोने लगते हैं। बालिकाएँ और बालक अपने-अपने स्वेटर निकालकर पहनने लगते हैं। ठण्डी हवाएं चलने लगती हैं। सवेरे-शाम अधिक ठण्ड होती है। तब बालक कोट आदि पहनकर बाहर निकलते हैं। बालिकाएँ शाल लेकर बाहर जाती हैं। सर्दी के दिन छोटे होते हैं। कब दिन हुआ, कब साँझ, पता ही नहीं चलता।

जाड़े की रात अधिक ठण्डी होने के कारण कोई काम नहीं हो पाता। अतः दिन में ही जल्दी-जल्दी काम कर लेना चाहिए। जब सर्दी बढ़ जाती है, तो सोते हुए, कम्बल में भी ठण्ड लगती है तब लोग रजाइयाँ (लिहाफ) ओढ़कर सोते हैं। बेचारे बेघर लोग जाड़े में काँपते-ठिठुरते हैं। सवेरे काफी ठण्ड पडती है, तब चाय पीकर ही चैन पड़ता है। गरम पेय (चाय, दूध, काफी आदि) अच्छे लगते हैं। सर्दी में भूख भी बढ़ जाती है और खाया-पीया पच जाता है। पुरुष गरम सूट पहनकर काम पर जाते हैं।

किसान लोग पुआल, उपले, लकड़ी आदि जलाकर आग तापते हैं, तब उनकी ठण्ड दूर होती है। अधिक सर्दी में दाँत बजने लगते हैं। हाथ सेककर शरीर में गर्माइश आती है। धनी लोग घरों और दफ्तरों में बिजली के हीटर जलाते हैं। लड़के-लड़कियाँ खेल के मैदान में घण्टों खेलते रहते हैं, फिर भी नहीं थकते। इन दिनों बादाम, पिस्ता, काजू, तिलगोजे, किशमिश, खजूर, मूंगफली आदि खाना अच्छा लगता है। शीतकाल में पढ़ाई खूब होती है। अत: विद्याथीं इन्हीं दिनों पढ़ाई की सारी कसर पूरी कर लेते हैं।

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