Ghayal Sainik Ki Atmakatha घायल सैनिक की आत्मकथा पर निबंध

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Ghayal Sainik Ki Atmakatha

Ghayal Sainik Ki Atmakatha

Ghayal Sainik Ki Atmakatha Essay in Hindi 300 Words

मैं भारतीय सेना का एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। मैंने कई युद्धों में भाग लिया है। यदि तुम मेरे बारे में कुछ जानना चाहते हो, तो सुनो। मेरा जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में हुआ था। मेरे पिताजी और मेरे चाचाजी भी सेना में ही थे। वे चाहते थे कि मैं भी सेना में भर्ती हो कर देश की सेवा करूँ। अतः पढ़ाई पूरी करके मैं नासिक के भोसला मिलिट्री स्कूल में भर्ती हो गया। वहाँ मुझे हर तरह की सैनिक शिक्षा दी गई। मुझे बंदूक, मशीनगन, तोप और टैंक चलाना सिखाया गया। बाद में मुझे थल सेना में शामिल कर लिया गया। थोड़े समय में ही मेरी तरक्की भी हुई।

सेना में रहते हुए हर साल मैं छुट्टी लेकर कुछ दिनों के लिए अपने गाँव आता था। माँ की ममता और बच्चों का स्नेह पाकर मैं खुशी से फूला नहीं समाता था। में अपने दोनों बेटों को लड़ाई के किस्से सुनाता था। छुट्टियाँ खत्म होने पर फिर अपनी ड्यूटी पर वापस लौट जाता था। वापिस जाते वक़्त माँ, बच्चे और पत्नी भावुक हो जाते।

1971 में पाकिस्तान ने फिर हमारे देश पर हमला कर दिया था। उस समय मुझे देश की सीमा पर तैनात किया गया था। हमने जान की बाज़ी लगाकर दुश्मनो को मारा। हमारे भी सेनिक लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। मैं भी बुरा तरह घायल हो गया। सरकार पाकिस्तान को हार माननी पड़ी। पूर्वी पाकिस्तान उसके हाथ से निकल गया। पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र बांग्लादेश बन गया। मुझे कई महीने जम्मू के अस्पताल में रहना पड़ा। सरकार ने फिर मुझे सम्मानित किया। अब तो मैं अपने गाँव में रहता हूँ। गाँव की छोटी मोटी सेवा करता हूँ। यहाँ के लोग मेरा बहुत आदर करते हैं। जय जवान। जय भारत !

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