Biography of Abhinav Bindra in Hindi अभिनव बिंद्रा का जीवन परिचय

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Biography of Abhinav Bindra in Hindi

पूरी दुनिया की निगाहें 2008 के बीजिंग ओलंपिक पर टिकी थीं। आखिर खेलों की दुनिया में ओलंपिक की जो जगह है, वह किसी प्रतियोगिता की नहीं है। भारत की ओर से भी बहुत-से खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया। उनमें से कई लोगों ने अच्छा खेल दिखाया भी, लेकिन ओलंपिक के बाद जिस नाम की हर हिंदुस्तानी चर्चा कर रहा था, वह शूटर अभिनव बिंद्रा का था। अभिनव 10 मीटर के एयर राइफल इवेंट में स्वर्ण पदक जीत ओलंपिक खेलों में किसी एकल स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए थे। इससे पहले 1980 में भारत की हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। पंजाब के मोहाली शहर के रहने वाले अभिनव का जन्म 28 सितंबर, 1983 को हुआ। बचपन में ही उनका रुझान इस खेल की ओर हो गया और 15 साल की कच्ची उम्र में ही वे शूटर बन गए।

1998 के कॉमनवेल्थ खेलों में भाग लेने वाले वे सबसे कम उम्र के प्रतियोगी थे। तीन साल बाद 2001 में म्यूनिख विश्वकप में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने अपने हुनर की ओर लोगों का ध्यान खींचा। इस वर्ष यूरोपियन सर्किट की कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 6 स्वर्ण पदक जीत उन्होंने साबित कर दिया था कि उन्हें शूटिंग से कितना प्यार है। इसी वर्ष उनकी इन उपलब्धियों के लिए उन्हें राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

साल 2002 में मेनचेस्टर कॉमनवेल्थ खेलों में एयर राइफल इवेंट में अपने जोड़ीदार के साथ खेलते हुए उन्होंने स्वर्ण और एकल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। अभिनव ने साल दर साल हर शूटिंग प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन किया। 2004 के एथेंस ओलंपिक में भी उन्होंने ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ा, लेकिन भारत के लिए कोई पदक नहीं जीत सके। एक के बाद एक जीत हासिल करते हुए अभिनव के हौसले और भी बुलंद होते गए।

आखिर 24 जुलाई, 2006 को वे जैगरेब में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले पहले भारतीय शूटर बने। उनसे पहले 1962 में विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में डॉ० करनी सिंह ने रजत पदक जीता था। 2006 में मेलबोर्न में कॉमनवेल्थ खेल हुए। एक बार फिर अभिनव ने सभी से अपने हुनर का लोहा मनवाया। उन्होंने अपने जोड़ीदार के साथ स्वर्ण जब कि एकल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भारत के खाते में स्वर्ण पदक डाल उन्होंने न केवल एक रिकॉर्ड कायम किया, बल्कि अपनी प्रतिभा को भी साबित कर दिया। उनकी इसी प्रतिभा के सम्मान में उन्हें अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार, पद्मभूषण आदि से सम्मानित किया गया।

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