बाल दिवस पर कविता Bal Diwas Par Kavita – Poem on Children’s Day in Hindi

Today we are going to share बाल दिवस पर कविता Bal Diwas Par Kavita – Poem on Children’s Day in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 and college students. Read बाल दिवस पर कविता Bal Diwas Par Kavita.

Bal Diwas Par Kavita

Bal Diwas Par Kavita

Poem 1 – Bal Diwas Par Kavita

कितनी प्यारी दुनिया इनकी, कितनी मृदु मुस्कान,
बच्चों के मन में बसते हैं, सदा, स्वयं भगवान…!!
एक बार नेहरू चाचा ने, बच्चों को दुलराया,
किलकारी भर हंसा जोर से, जैसे हाथ उठाया,
नेहरूजी भी उसी तरह, बच्चे-सा बन करके,
रहे खिलाते बड़ी देर तक, जैसे खुद खो करके,
बच्चों में दिखता भारत का, उज्ज्वल स्वर्ण विहान,
बच्चो के मन में बसते हैं, सदा स्वयं भगवान…!!
बच्चे यदि संस्कार पा गए, देश सबल यह होगा,
बच्चों की प्रश्नावलियों से, हर सवाल हल होगा,
बच्चे गा सकते हैं जग में, अपना गौरव गान,
बच्चो के मन में बसते हैं, सदा स्वयं भगवान…!!
बच्चों के मन में बसते हैं, सदा, स्वयं भगवान…!!

Poem 2 – Bal Diwas Par Kavita

बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल,
जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमरेल…!!
बरसगांठ चाचा नेहरू की फिर आई है आज,
उन जैसे नेता पर सारे भारत को है नाज,
वह दिल से भोले थे इतने, जितने हम नादान,
बूढ़े होने पर भी मन से वे थे सदा जवान,
हम उनसे सीखे मुस्काना, सारें संकट झेल,
बाल दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल..।।।

हम सब मिलकर क्यों न रचाएं ऐसा सुख संसार,
भाई-भाई जहां सभी हो, रहे छलकता प्यार,
नही घृणा हो किसी हृदय में, नही द्वेष का वास,
आँखों में आँसू न कहीं हो, हो अधरों पर हास,
झगड़े नही परस्पर कोई, हो आपस में मेल,
बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल..।।

पड़े जरूरत अगर, पहन ले हम वीरों का वेश,
प्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश,
मिट्टी से मिलकर भी माँ की रक्खे ऊँची शान,
बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल…!!
बाल-दिवस है आज साथियों, आओ खेले खेल…!!

Poem 3 – Bal Diwas Par Kavita

वो खेलना कूदना और खाना,
मौज मस्ती में बखलाना,
वो माँ की ममता और वो पापा का दुलार,
भुलाये ना भूले वह सावन की फुवार,
बहुत मुश्किल है बचपन को भूल पाना…!!

वह कागज की नाव बनाना,
वो बारिश में खुद को भीगाना,
वो झूले झूलना और खुद ही मुस्कुराना,
बहुत मुश्किल है बचपन को भूल पाना…!!

वो यारो की यारी में सब भूल जाना,
और डंडे से गिल्ली को मारना,
वो अपने होमवर्क से जी चुराना,
और टीचर के पूछने पर तरह तरह के बहाने बनाना,
बहुत मुश्किल है बचपन को भूल पाना…!!

वो एग्जाम में रट्टा लगाना,
उसके बाद रिजल्ट के डर से बहुत घबराना,
वो दोस्तों के साथ साइकिल चलाना,
वो छोटी छोटी बातो पर रूठ जाना,
बहुत मुश्किल है बचपन को भूल पाना…!!

वो माँ को प्यार से मनाना,
वो पापा के साथ घूमने के लिए जाना,
और जाकर पिज्जा और बर्गर खाना,
याद आता है वह सब, बचपन है ऐसा खजाना,
बहुत मुश्किल है बचपन को भूल पाना…!!
बहुत मुश्किल है बचपन को भूल पाना…!!

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