बर्बरीक की कहानी Barbarik Ki Kahani – Story of Barbaric in Hindi
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Barbarik Ki Kahani in Hindi
Barbarik Ki Kahani 150 Words
महाभारत के युद्ध में अर्जुन को विजय दिलाने में श्रीकृष्ण की पूरी भूमिका थी, लेकिन विजयी होने का पूरा श्रेय अर्जुन अकेला लेना चाहता था। उसके अभिमान को देखकर श्रीकृष्ण सभी पांडव भाइयों को बबरीक के निकट ले गए और उससे बोले, बबरीक तुमने पूरा युद्ध देखा था, अब तुम्हीं बताओ कि यह युद्ध इन पांचों भाइयों में से किसने जीता?
यह सुनकर बबरीक हंसकर बोला, महाराज इनमें से किसी ने युद्ध नहीं जीता, केवल आपके सुदर्शन चक्र को ही मैंने रणभूमि में शत्रु पक्ष का सफाया करते हुए देखा था। ‘मैं को भूलकर तू का भाव जाग्रत करने में ही जीवन की सार्थकता है, क्योंकि मैं तक सीमित रहने वाला व्यक्ति अहंकारी होकर न तो अपना भला कर सकता है और न ही अपने जीवन में किसी दूसरे का।
इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है – स्वयं को केवल कर्म का माध्यम मानो कर्ता नहीं।