ओलम्पिक खेल पर निबंध Essay on Olympic Games in Hindi

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Essay on Olyampic Games in Hindi

Essay on Olympic Games in Hindi ओलम्पिक खेल पर निबंध

Essay on Olympic Games in Hindi 600 Words

किसी न किसी समय, विश्व के किसी न किसी कोने में होने वाली खेल प्रतियोगिता के बारे में हम प्रायः रोज सुनते ही रहते हैं। हममें से कई लोग ऐसे भी हैं जो इस प्रकार की खेल पतियोगितायों में दिलचस्पी रखते हैं और अवसर मिलने पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इन खल प्रतियोगिताओं का सुखपूर्ण आनन्द भी प्राप्त करते हैं। अर्न्तराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण खेल प्रतियोगिताएं-एशियाई खेल और राष्ट्र-मण्डल खेल एवं ओलम्पिक खेल हैं। इनमें से सर्वाधिक प्राचीन खेल प्रतियोगिता ओलंपिक ही हैं। ओलम्पिक खेलों का वैसे तो इतिहास अतीव प्राचीन रहा है। कहा जाता है कि इन ओलम्पिक खेलों का सर्वप्रथम आरम्भ 776 ई.पू. यूनान के एथेंस नगर में हुआ था। इस खेल का यह जो नामकरण हमें प्राप्त होता है, इसका भी एक रोचक प्रसंग रहा है। कहा जाता है कि यूनान के एथेंस नगर के कुछ एक पर्वतों पर कतिपय दौड़ आदि से संबंधित खेल-कूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थीं। इन पर्वतों को उस समय ‘ओलम्पिक’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। अतः इसी कारण, इन ओलम्पिक पर्वतों पर खेल-कूद आयोजित की जाने वाली इन प्रतियोगिताओं को ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता कहकर पुकारा जाने लगा और तभी से इन ओलम्पिक खेलों का प्रचलन व्यापक रूप से आरम्भ हो गया।

अभी तक मानव इतिहास या समाज का जितना भी लेखा-जोखा हमें प्राप्त होता है, उसकी मूल विशेषता यह रही है कि उसमें मानवीय जीवन के संदर्भ में खेलकूद आदि क्रीडात्मक आचरणों पर पर्याप्त बल दिया गया है। हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति तो इसका जीता-जागता प्रमाण ही है। संस्कृत का एक श्लोक है:

“क्रीडनंपुष्ट शरीरस्य बुद्धिः तेजो यशो बलम्।
प्रवर्धन्ते मनुश्यस्य तस्माद व्यायाममाचरेत् ॥”

अर्थात् खेल आदि क्रीडात्मक आचरण मनुष्य को शारीरिक पुष्टता, सुदृढ़ बुद्धि, तेज, यश और बल आदि प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण आचरण होते हैं। क्रीड़ाओं का इस उच्च स्तर पर पक्ष समर्थन किसी अन्य सभ्यता में शायद ही प्राप्त होता हो। यूरोपीय सभ्यता भी इस दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपर्ण सभ्यता रही है। प्लेटो पाश्चात्य सभ्यता के महान चिंतक और मनीषी विचारक माने जाते हैं। उनका तो प्रायः समस्त चिंतन ही मानव-समाज की सुख-समति एवं समुचित विकास को ही केन्द्र में रखकर किया गया चिंतन कहा जाता है। यही कारण है कि उन्होंने समुचित रूप से मानवीय विकास के संदर्भ में खेल अथवा क्रीडा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना था। अंग्रेजी की एक बड़ी ही प्रख्यात कहावत है कि: “A sound mind in a sound body.” नेल्सन ने जब नेपोलियन को पराजित किया तो सर्वत्र आश्चर्य का प्रभाव व्याप्त हो गया। किन्तु नेल्सन को इसमें किसी भी प्रकार का आश्चर्य दिखलायी नहीं पड रहा था। उसने बड़े ही सहज शब्दों में कहा था कि मैंने वाटरलू के युद्ध में जो सफलता प्राप्त की है उसका प्रशिक्षण मैंने खेल के मैदान में ही प्राप्त किया था। इसी प्रकार आधुनिक काल के एक महान धर्म-सुधारक स्वामी विवेकानंद का भी यह कथन अत्यंत उल्लेखनीय जान पड़ता है। उन्होंने कहीं कहा था कि शारीरिक दुर्बलता ही हमारे दुखों को कम से कम एक तृतीयांश का कारण है। सर्वप्रथम हमारे नवयुवकों को बलवान बनना चाहिए। धर्म पीछे आ जाएगा। मेरे नवयुवक मित्रों बलवान बनों। तुम्हे मेरी यह सलाह है। गीता के अभ्यास की अपेक्षा फुटबाल खेलने के द्वारा तुम स्वर्ग से अधिक निकट पहुँच जाओगे।

अतः हम इस बात का सहज ही रेखाकन कर सकते है कि हमारे जीवन में खेलों का अप्रतिम महत्व होता है।

आधुनिक समय में ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता जिस स्वरूप हमें प्राप्त होती है उसका परवर्ती समय में सर्वप्रथम आरंभ 1886 में पुनः यूनान के उसी एंथेस नगर में हुआ था। फ्रांस में बैरन पाइरे दि कुबर्तिन ने ही वस्तुतः आधुनिक ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। अभी तक ओलम्पिक खेलों का आयोजन विश्व के प्राय: सभी बड़े देशों में हो चुका है। इसका उदघाटन देश के विशिष्ट प्रतिनिधि द्वारा अनेक रंगा-रंग कार्यक्रमों के साथ किया जाता है।

अभी तक अमेरिका के अटलाटा नामक शहर में आयोजित किया गया ओलम्पिक खेल सर्वाधिक प्रख्यात रहा है । इसमें 25 महत्वपूर्ण खेलों से संबंधित प्रतियोगिताएं हुई थीं।

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