Ramayan Story in Hindi Scene 1 – नारद जी का समाधि में लीन होना

सीन नंबर १ (scene number 1)

पातर : नारद, इन्दर दरबान, काला देव, मंत्री कामदेव, शिवजी, भरमहा, विष्णु जी, शिवगण, द्वारपाल, सिलिनिधि, विश्वमोहनी, कर्मचारी, मंत्री

Ramayan Story in Hindi Scene 1 – नारद जी का समाधि में लीन होना

नारद : आहा केसा सुन्दर स्थान है, श्री भागीरथी जी का निर्मल जल बह रहा है, ऐसा सुन्दर स्थान, मन को शांति प्रदान करता है, इस जगह भगवन की भगति करना, अति उत्तम है. ( नारद जी का समाधि में लीन होना )

इन्दर : (महाराज इन्दर का दरबार, अप्सराओ का नाचना गाना, महाराज इन्दर का सिंघासन डोलना — डर कर ) है है … ये क्या हो रहा है, ऐसा मालूम होता है, कोई ऋषि मुनि, मेरा राज छीनने के लिए तप कर रहा है, अच्छा अभी कालादेव को बुलाता हूं, वह सब हाल मालूम करके आएगा, ऐ दरबान जाओ कालादेव को बुलाकर लाओ.

दरबान : जैसी आज्ञा हो भगवन….
(दरबान का जाना और काला देव को लेकर आना)

कालादेव : महाराज की जय जय कार हो, कहो कहो राजन, मुझ नाचीज़ को कैसे याद किया.

इन्दर : ओ कालादेव तुम पृथ्वी लोक पर अभी जाओ और देखो वहां कौन ऋषि मुनि घोर तप कर रहा है वह कौन है जिसको मेरे राज की इच्छा है, जल्दी जाकर समाचार लेकर आओ.

कालादेव : जो आज्ञा जो महाराज ( जाना और वापिस आना )

इन्दर : कहो कालादेव, क्या समाचार लाये.

कालादेव : महाराज श्री गंगा जी के तट पर, देव ऋषि नारद जी महा घोर समाधि लगाए बैठे है, जिस कारन आप का सिंघासन डोल रहा है.

इन्दर : अच्छा कालादेव, अब तुम अपने अस्थान को जाओ.

कालदेव : जैसी आज्ञा हो महाराज.

इन्दर : ऐ मंत्री जी, तुम मेरे मित्र कामदेव को बुला कर लाओ.

मंत्री : जैसी आज्ञा हो महाराज ( मंत्री का जाना और कामदेव को साथ लेकर आना )

कामदेव : महाराज, प्रणाम स्वीकार करो ( दोनों का गले मिलना ) कहो राजन, आनंद चित तो है.

इन्दर : मित्रवर कुशल तो है, परंतु आप मेरे निमत पृथ्वी पर जाकर गंगा जी के तट पर नारद जी की तपस्या को भंग करो, साथ में उर्वसी, रंभा, मेनका आदि, अपनी सब सेना को ले कर जाना.

कामदेव : जैसी आज्ञा हो ( सब अफसरों को लेकर जाना और अप्सरा का नाच करना, नारद जी का ना डोलना, कामदेव का हार मानना )

( शेअर )

त्राहिमाम त्राहिमाम त्राहिमाम,
हे नाथ माफ कीजिए मुझे,
आप यहां नहीं आया था,
इंद्र आसन छीने ना कोई,
सुर्पत्ति ने भिजवाया था.

कामदेव : है मुनि राज आप स्वामी हैं, इस सेवक का कोई दोष नहीं है, महामुनि महाराज आप जीते और मैं हारा, है भगवान इस दास को माफ करना.

नारद : हसना हा हा हा हा है.

( शेअर )

कामदेव, कहना सुर्पत्ति से, उन् को न राज की इच्छा है,
तुमं राजा बन कर न्याय करो, अन्याय न तुझ को सोहता है,
योगीउ से सदा झगड़ते हो, क्या लाज उसे नहीं अति है,
हम रहते मगन तपस्या में, क्यों चिंता उन्हें सताती है.

नारद : ऐ कामदेव, हम को राज की ईशा नहीं.

कामदेव : जैसी आज्ञा हो महाराज ( जाना इन्दर के दरबार में ).

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