Anukarniya Par Kahani – Story on Exemplary in Hindi अनुकरणीय पर कहानी

Anukarniya Par Kahani – Story on Exemplary in Hindi. अनुकरणीय पर कहानी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय पर कहानी हिंदी में।

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Anukarniya Par Kahani – Story on Exemplary in Hindi

‘अरे! देखो इतने बड़े अफसर की पत्नी होते हुए भी ये अक्सर फुटपाथ पर खरीदी करती हुई नज़र आती हैं।’ मिसेज वर्मा कह रही थीं।

‘हां जी, ये मिसेज सक्सेना तो बड़ी कंजूस हैं। इन्हें अपने स्टेटस का भी ध्यान नहीं रहता। फुटपाथ पर कार से उतरकर घूमती रहती हैं।’ मिसेज कपूर ने व्यंग्य से कहा।

हो सकता है ये थर्ड क्लास की होंगी। तभी तो इन्हें ‘इलिट क्लास’ का तर्जुबा नहीं है। आए दिन झुग्गी बस्तियों में घूमती रहती हैं।’ मिसेज वर्मा के इस कथन पर पॉश कॉलोनी की महिलाएं हंसने लगीं।

मिसेज सक्सेना कॉलोनी की महिलाओं की यह जली-कटी बातें अक्सर सुनती रहती थीं पर आज उनसे रहा नहीं गया।

उन महिलाओं के बीच जा खड़ी हुई और शांत स्वर में बोलीं, ‘प्यारी बहनों, आप मुझे लेकर परेशान न हों। मैं क्या करती हूं, कहां जाती हूं, फुटपाथ से सामान ख़रीदती हूं, क्यों ख़रीदती हूं? तो सुनिए, मुझे फुटपाथ पर ख़रीदे गए सामानों की कोई जरूरत नहीं होती तो
भी मैं फुटपाथ पर बेचने वाले गरीब लोगों से सामान इसलिए ख़रीदती हूं ताकि उन बेचारों के घर चूल्हा जल सके। यही फुटपाथ का सामान शॉपिंग मॉल में बिकता है तो हम उसे मुंह-मांगे दामों पर ख़रीद लेते हैं, परंतु फुटपाथ पर बिकने वाले सामानों को हम लोग तुच्छ निगाहों से देखते हैं। कोई ख़रीदता भी है तो मोलभाव करते हैं। हम जैसे अभिजात्य कहे जाने वाले लोग फुटपाथ के लोगों को शायद इंसान भी नहीं समझते।

उनसे बात करना भी अपनी बेइज्जती समझते हैं परंतु मैं उनका दर्द समझती हूं। इसलिए उनका सामान अक्सर ख़रीद लेती हूं। कुछ में उपयोग में लाती हैं और बाक़ी सामान गरीब बस्तियों में जाकर बांट आती हूँ। इससे मेरे दिल को बहुत सुकून मिलता है। अब इस बारे में आप लोगों का क्या ख़्याल है?’ मिसेज सक्सेना की बातों को सभी महिलाएं ध्यान से सुन रही थीं। सभी के मन में संशय का अब कोई स्थान न था। रोज़ बुराई करने वाली महिलाएं अब मिसेज सक्सेना के लिए तालियां बजा रही थीं।

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