Essay on Par Updesh Kushal Bahutere in Hindi

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Essay on Par Updesh Kushal Bahutere in Hindi
पर उपदेश कुशल बहुतेरे पर निबंध

Essay on Par Updesh Kushal Bahutere in Hindi

विचार-बिंदु – • सूक्ति का आशय • स्वयं को उपदेश देने वाले कम • अधिकतर लोग स्वयं बुरे किंतु बुराइयों पर उपदेश देते हैं • छली-कपटी लोग • भाषणों का प्रभाव नहीं • आचरण का प्रभाव • सदाचारी का जीवन प्रकाशदीप-सा • महापुरुषों के उदाहरण • अपना दीपक स्वयं बनना आवश्यक।

इस कथन का आशय है – दूसरों को उपदेश देने वाले दुनिया में बहुत हैं। इस उक्ति का गंभीर अर्थ यह है कि दुनिया में ऐसे लोग कम हैं, जो स्वयं को उपदेश देते हैं और स्वयं को सुधारते हैं। अधिकांश व्यक्ति स्वयं बुराइयों से घिरे रहते हैं लेकिन औरों को ठीक रहने की सलाह देते हैं। ऐसे लोगों का जीवन छल और कपट से परिपूर्ण होता। है। ये लोग वास्तव में अपनी कमियों को छिपाने के लिए भाषण देते हैं। परंतु दूसरों के भाषण का कोई प्रभाव नहीं होता।

आज लाखों करोड़ों भाषणों का भारत पर क्या प्रभाव है? शून्य ! दूसरी ओर, जो लोग दूसरों को उपदेश देने की बजाय स्वयं अपना आचरण ठीक करते हैं वे लोग स्वयं प्रकाशदीप बन जाते हैं। महात्मा गाँधी, सुभाष, नेहरू, टैगोर, भगतसिंह के आचरण का जो प्रभाव हुआ, वह करोड़ों भाषण मिलकर भी नहीं उत्पन्न कर सकते। इसीलिए महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा था – अप्प दीपो भव! स्वयं अपने दीपक बनो। स्वयं को स्वयं ही विवेक दो।

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