Mughal Empire Art and Culture in Hindi मुगलकालीन कला और संस्कृति

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hindiinhindi Mughal Empire Art and Culture

Mughal Empire Art and Culture in Hindi

अकबर के लम्बे शासन काल को मुगल साम्राज्य के विस्तार और सुदृढीकरण का युग कहा जाता है। अकबर न केवल एक बहादर योद्धा था, वरन वह कला और सुन्दर निर्माण कार्यों में भी रूचि लेता था। इसका श्रेय शेरशाह की प्रशासनिक प्रणाली और राज्य के लिए नियमित रूप से संचित किये जा रहे राजस्व को जाता था। यह प्रणाली संपूर्ण उत्तर भारत में व्यापक रूप से लागू थी और इस राजस्व प्रणाली के फलस्वरूप लोगों को नियमित रूप से राजस्व अदा करने के लिए शासित किया जाता था।

सभी मुगल शासक बाबर से लेकर अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर तक सभी कला और सुन्दर भवनों के निर्माण में अपनी रूचि के लिए जाने जाते थे। इनमें से कुछ कला में अपनी गहरी रूचि रखते थे, तथा कुछ कला में चली आ रही रूचि की परंपरा को साधारण रूप से जीवित रखते थे। उदाहरण के लिए अकबर के पुत्र जहांगीर को यह सब व्यक्तिगत रूप से उपहार स्वरूप मिला था। लेकिन कालांतर में जहांगीर व्यसनों का आदी हो गया। अत्यधिक मदिरा सेवन के कारण वह शासन की जटिलताओं को हल करने की सामर्थ्य खो चुका था, तथा सदैव नशे में डूबे रहने की वजह से शासन के कार्यों से उसकी रूचि बिल्कुल समाप्त हो गयी, और उसने इस स्थिति में अपनी बेगम नरजहाँ के हाथों में शासन की बागडोर सौंपना अधिक पसंद किया।

जहांगीर की संगति और सृजनात्मक प्रवृत्ति उसके दादा हुमायु से आश्चर्यजनक रूप से मिलती थी। हुमायूँ ने फिर भी अपने राज्य पर काफी ध्यान दिया और उनके समय ये कला और सुन्दर भवनों के निर्माण में काफी विकास हुआ। श्रीनगर में डल झील के किनारे ‘शालीमार बाग’ का निर्माण हुमायूँ का कश्मीर के प्रति गहरा लगाव दर्शाते हैं । फतेहपुर सीकरी में हुमायूँ द्वारा बनवाया गया सबसे उत्कृष्ट दरगाह शेख सलीम चिस्ती, उसकी कला के प्रति रूचि को दर्शाती हैं। हुमायूँ के द्वारा लाहौर, इलाहाबाद और आगरा में निर्माण करवाये गये शाही किले उसके कला और सुन्दर निर्माणे के प्रति प्रेम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

मुगलों के द्वारा सुन्दर भवनों का निर्माण कार्य शाहजहाँ के शासन काल में अपनी पराकाष्ठा पर था। शाहजहाँ ने पहले से निर्मित किलों और उनके स्थानों में महत्वपूर्ण परिवर्तन करवाये। उसने पुराने किलों और इमारतों को नया रूप प्रदान किया तथा शाहजहानाबाद नामक एक नये शहर और किले का निर्माण किया। शाहजहाँ ने ही दिल्ली में जामा मस्जिद और लाल किले का भी निर्माण करवाया। लेकिन ये सभी आगरा के ‘ताजमहल’ की खूबसूरती के अंश मात्र ही हैं। ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। यह इस्लामिक धर्म का सबसे उत्कृष्ट मकबरा है।

लाल किले की बाहरी दीवार का निर्माण एक योजना बद्ध तरीके के साथ यमुना और उत्तरी मार्ग के सरहद के अतिरिक्त सुरक्षा की दृष्टि से आयताकार रूप में बनायी गयी।

लाल किले की दीवारों को अंत में लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से सजाया गया। इनके जोड़ आश्चर्यजनक रूप से बहुत ही उत्तम हैं। केन्द्र गढ़ के रूप में दिल्ली और लाहौर द्वार का भव्य निर्माण करवाया गया, सुरक्षा की दृष्टि से विशाल मुख्यद्वार की मीनार को दीवारों के ऊपर बनाया गया। इस द्वार से प्रवेश करने पर एक चौकोर सार्वजनिक स्थल तक मार्ग जाता है, जो दीवान-ए-आम के लिए जाना जाता है।

लाल किले के अंदर और भी छोटी-छोटी इमारतें बनायी गयी हैं। इसके अंदर मोती – मस्जिद नामक संगमरमर के पत्थरों का बना एक मस्जिद है। इसके निर्माण की शुरूआत शाहजहाँ ने करवायी थी लेकिन इसे उसके पुत्र औरगंजेब ने पूरा करवाया। औरंगजेब ने इसकी अलग तरह से सजावट कराया। शीश महल, राजकोष और शस्त्रागार अथवा दौलत खाना राजा के निजी कक्ष होते थे तथा रानियों केनिजी कक्ष को ‘हरम’ कहा जाता था।

लाल किले का निर्माण अत्यंत ही रक्षात्मक तरीके से कराया गया था। लाल किले को देखकर ही इसकी सुरक्षात्मकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसकी सुरक्षा व्यवस्था को देखकर मुगल शासक के स्वर्णकाल में भेद पाना कठिन ही नहीं, असंभव था। लाल किले के बाहर एक बहुत ही सुन्दर शहर था। यह विश्व के सबसे धनी शासक की राजधानी थी। यह दिल्ली का एक पुराना शहर था। इस शहर की संकीर्ण गलियों तथा पुरानी विच्छिन्न इमारतों को देखकर ही इसकी खबसूरती का आकलन किया जा सकता है कि यह अपने समय में कितना सुन्दर शहर प्रतीत होता होगा। यहाँ मुगल शासन काल में धनी वर्ग, कवि, कलाकार, सिपाही, अधिकारी तथा कर्मचारी सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहा करते थे।

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