Essay on Good Health in Hindi अच्छे स्वास्थ्य पर निबंध हिंदी में

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Essay on Good Health in Hindi

hindiinhindi Essay on Good Health in Hindi

स्वास्थ्य ही दौलत है Essay on Good Health in Hindi 400 Words

एक प्रसिद्ध कहावत है कि अगर मनुष्य का धन नष्ट हो जाए तो समझो कुछ भी नष्ट नहीं हुआ या फिर कोई बड़ी बात नहीं हुई। एक स्वस्थ व्यक्ति लगातार परिश्रम करके धन-सम्पत्ति दुबारा कमा सकता है। लेकिन अगर उस का स्वास्थ्य ही किसी कारण नष्ट हो गया, तो समझो कि सभी कुछ नष्ट हो गया। क्योंकि उस अस्वस्थता की अवस्था में व्यक्ति कुछ भी कर पाने में एकदम असमर्थ हो जाता है। जो व्यक्ति चल-फिर सकने में समर्थ नहीं होता, वह भला धन-सम्पत्ति या जीवन जीने के साधन क्या खाक अर्जित कर सकेगा? इसी कारण कहा गया है कि स्वास्थ्य ही सोना या फिर स्वास्थ्य ही धन-सम्पत्ति आदि सभी कुछ है।

आपने लोगों को यह भी कहते सुना होगा कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मनमस्तिष्क का निवास रहता है। स्वस्थ मन-मस्तिष्क वाला आदमी हर बात अपने अच्छे-बुरे रूप में, उसके भले-बुरे परिणाम के सन्दर्भ में पहले ही सोच-विचार कर उचित कदम उठा सकता है। स्वस्थ मन-मस्तिष्क से सोच-विचार कर स्वस्थ व्यक्ति द्वारा उठाया गया कदम कभी खाली नहीं जाता। वह इच्छत परिणाम अवश्य लाता है। इसके विपरीत यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब रहता है, उसने सोच-समझ कर कोई क्रियात्मक कदम तो क्या उठाना है, उसका स्वभाव पूरी तरह चिड़चिड़ा हो जाता है। वास्तव में उसमें सोच-विचार कर कोई काम करने की शक्ति ही नहीं रह जाती।

स्वस्थ व्यक्ति ही ठीक ढंग से सोच-विचार कर, परिश्रमपूर्वक काम कर सुखी और समृद्ध जीवन व्यतीत कर सकता है। जब तक जियो स्वस्थ रहकर, सुखपूर्वक जियो। इसके लिए ऋण लेकर घी पीना पड़े, तो वह भी पियो। यह बात मुहावरे के रूप में ही स्वस्थ रहने या स्वास्थय-रक्षा करने की प्रेरणा देने वाली है। ऋण लेकर घी पीने वाला स्वस्थ व्यक्ति अपनी इच्छा-शक्ति से लगातार परिश्रम करके उस ऋण को उतार सकता है। दुर्बल और अस्वस्थ रहने वाला व्यक्ति ऐसा कुछ भी कर पाने में समर्थ नहीं हुआ करता।

स्वस्थ शरीर रखने, स्वस्थ जीवन बिताने के लिए सन्तुलित और पौष्टिक भोजन करना आवश्यक होता है। इसी प्रकार शरीरिक स्थिति के अनुसार थोड़ा व्यायाम करना और भ्रमण करना भी अत्यन्त आवश्यक माना गया है। साफ-सुथरे रहना, स्वच्छ पानी में स्नान करना, स्वच्छ वातावरण और वायु-मण्डल में निवास करना भी आवश्यक और स्वास्थयवर्द्धक माना गया है।

अच्छे स्वास्थ्य पर निबंध Essay on Good Health in Hindi 1000 Words

भूमिका

दुनिया में सबसे पहला सुख निरोगी काया है। स्वस्थ हैं तो हमारे चेहरे पर रौनक एवं चमक रहती है। हमारा मन उमंग और उल्लास से भरा रहता है। हम हर काम को स्फूर्ति से करते हैं। आलस्य पास नहीं फटकता। रात को नींद भी अच्छी आती है। इसके विपरीत जब स्वास्थ्य ठीक न हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता। न ठीक से भूख लगती है, न नींद आती है और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। इसलिए कहा भी गया है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का निवास होता है।

स्वच्छता में ही स्वस्थता

तन की स्वस्थता के लिए उसकी स्वच्छता आवश्यक है। हमें शरीर के सभी अंगों को साफ़ रखना चाहिए। हमारी त्वचा में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिनसे पसीना बाहर निकलता है और प्रतिदिन धूल के कण जम जाते हैं। हमें नित्य स्नानादि करके तन की सफ़ाई करनी चाहिए।
तन की सफ़ाई के साथ-साथ कपड़ों की सफ़ाई भी आवश्यक है। हमें हमेशा साफ़ सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। गंदे कपड़े पहनने से हमें अनेक प्रकार की बीमारियाँ लग सकती हैं। शौच के बाद हाथ साबुन से अवश्य धोने चाहिए।

सन्तुलित भोजन खाने से शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है। जिससे काम करने की शक्ति मिलती है। सैर एवं व्यायाम से शरीर एवं मन को आराम और स्फूर्ति भी प्राप्त होती है। जिससे रोगों से मुक्ति मिलती | है। अच्छे, शिक्षाप्रद साहित्य, पाठ्य-सामग्री पढ़ने से सही दिशा मिलती है। आस्तिक एवं आशावादी दृष्टिकोण से मन को शान्ति प्राप्त होती है। इसलिए इनका पालन करते हुए हम स्वस्थ तन और स्वस्थ मन की कामना कर सकते हैं।

सन्तुलित आहार

निरोग एवं स्वस्थ जीवन के लिए सन्तुलित भोजन अधिक आवश्यक है। इसलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए सन्तुलित भोजन खाना चाहिए। |भोजन में चोकर वाले आटे की रोटी, हरी सब्जियाँ, दालें, फल, दूध, दही, पनीर और अंकुरित अनाज आदि शामिल हों। इन सबसे हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है। हमें पानी भी अधिक मात्रा में पीना चाहिए इससे बीमारियाँ नहीं लगतीं। दूध अपने आप में सन्तुलित आहार है। इसे तो सुबह-शाम पीना ही चाहिए।

स्वास्थ्य का आधार, सन्तुलित आहार।

जंक फूड का चलन

आजकल पीजा, बर्गर, पैटीज़, नूडलज़, समोसा, टिक्की आदि (जंक फास्ट फूड) आहार खाने का फैशन हो गया है जिससे शरीर में मोटापा अधिक और शक्ति कम आती है।

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि खाने की वस्तुएँ ढकी हों, उन पर धूल-मिट्टी न पड़ी हो, मक्खियाँ न बैठी हों। फल व सब्जियाँ धोकर खानी चाहिए। इससे भी अनेक रोग होने का भय रहता है। शुद्ध, ताजा और पौष्टिक आहार के साथ-साथ हमें जल की स्वच्छता पर भी ध्यान देना चाहिए। जहाँ तक हो सके नल, हैंडपंप या टंकी का पानी छानकर या उबालकर पीना चाहिए। आजकल जल-शोधक उपकरण घरों में लगाये जाते हैं, उनका उपयोग करना चाहिए।

मन की स्वच्छता एवं तन्दरुस्ती

ध्यान आदि लगाने से मन शान्त होता है, स्मरण शक्ति एवं एकाग्रता बढ़ती है। अच्छा प्रेरणादायक साहित्य एवं शिक्षाप्रद, महापुरुषों की जीवनियाँ इत्यादि पढ़ने से मन मस्तिष्क में सकारात्मक सोच पैदा होती है जो कि स्वस्थ रहने का सुनहरी नियम है।

“यदि धन गया तो कुछ न गया,
स्वास्थ्य गया तो सब कुछ गया।”

उपसंहार

अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सन्तुलित भोजन खाना चाहिए। तन की स्वच्छता के साथ-साथ खेल-खेलना, आसन करना, सुबह-शाम सैर करना, योगाभ्यास करना आदि बड़े लाभकारी हैं। खुली हवा में साँस लेने और व्यायाम आदि करने से तन ही नहीं मन भी हृष्ट-पुष्ट होता है। जीवन में अपनी सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। ठीक समय पर ठीक ढंग से बैठकर खाया गया भोजन, हमें स्वस्थ तन प्रदान करता है। स्वस्थ तन से स्वस्थ मन होगा। मन स्वस्थ होगा तो हमारी सोच सकारात्मक होगी। हम अच्छे इंसान बन सकेंगे। जिससे हम अपनी ही नहीं अपने परिवार, गाँव, शहर एवं अपने समाज की उन्नति में योगदान दे सकेंगे।

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