Essay on Good Manner in Hindi शिष्टाचार पर निबंध

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Essay on Good Manner in Hindi

सभ्य आचरण और व्यवहार ही शिष्टाचार कहलाता है। जीवन में इसका बहुत महत्व है। शिष्टाचार कोई बाहर से आरोपित वस्तु नहीं है बल्कि अपने मन को वश में करके अन्दर से पैदा होने वाला स्वभाव ही शिष्टाचार है। | शिष्टाचार, सदाचार का ही समानार्थक शब्द है। देश और काल के अनुसार शिष्टाचार के नियमों में परिवर्तन हो सकता है। विनम्रता, मधुर वाणी, अतिथि सत्कार आदि भी शिष्टाचार के जरुरी अंग हैं।

शिष्टाचार सबसे बड़ी बात है कि यह, शिष्टाचार के लिए हमें अपनी जेब से भी कुछ ख़र्च नहीं करना पड़ता।

इसके कुछ मुख्य नियम इस प्रकार हैं :

• यदि हम किसी देवता, गुरु, पीर-फ़कीर तथा अपनों से बड़ों का नाम लेते हैं तो उनके नाम के आगे श्री या पीछे जी अवश्य ही लगाना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के नाम भी इसी प्रकार बोलने चाहिए। जैसे “श्री गुरुग्रन्थ साहिब’”, “श्रीमद् भगवद्गीता” कहना चाहिए।

• हमें अपने से बड़ों या छोटों सभी से मीठी वाणी बोलनी चाहिए। यदि हमारे घर कोई मेहमान आए तो उन्हें ‘नमस्कार’ करना चाहिए। अपनी मधुर मुस्कान से उनका स्वागत करना चाहिए।

• किसी से कोई चीज माँगते समय हमें कृपया और वापिस करते समय धन्यवाद कहना चाहिए।

• हमें किसी की पीठ पीछे उनकी बुराई, निन्दा और चुगली नहीं करनी चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए। यह बात अपने से बड़ों या छोटों दोनों के बारे में लागू होती है।

• जब किसी शुभ अवसर पर कोई उपहार या बधाई प्राप्त करें या कोई हमारी मदद करता है तो हमें धन्यवाद कहना चाहिए।

• यदि हमें छींक आती है, खाँसी होती है तो हमें छींक मारते समय तथा खाँसते समय अपने नाक तथा मुँह पर रूमाल अवश्य ही रखना चाहिए। उसके बाद हमें माफ़ करें भी कहना चाहिए।

• हमें कभी भी धक्का-मुक्की और झगड़ा नहीं करना चाहिए अगर हम से कोई ग़लती हो जाए तो माफ़ी माँगनी चाहिए। माफी केवल शब्दों से ही नहीं बल्कि हमें ग़लती न दोहराने का दिल से प्रण लेना चाहिए।

• हर व्यक्ति को शिष्टाचार को अपना स्वाभाविक गुण बनाने के लिए कोशिश करनी चाहिए। अपनी ग़लती मानना शिष्टाचार का सबसे बड़ा नियम है।

• शिष्टाचार केवल पढ़े-लिखे व्यक्ति में ही हो ऐसा जरुरी नहीं है जबकि एक अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी शिष्टाचारी हो सकता है।

• किसी से भी बातचीत करते समय हमें शिष्टाचार का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। यह गुण सारी उम्र काम आता है।

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