Essay on Population Problem in India in Hindi

Hello guys today we are going to discuss essay on Population problem in India in Hindi भारत में जनसंख्या की समस्या। What is the population? Now you can take an example to write Population problem essay in India in Hindi in a better way. Essay on Population problem in India in Hind is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.

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Essay on Population Problem in India in Hindi

भूमिका :

प्रतिदिन बढ़ रही जनसंख्या के कारण संसार में बहुत सी समस्याएँ पैदा हो रही हैं। यह समस्या देश के लिए बहुत ख़तरनाक है। गरीबी, बेरोज़गारी, घटते संसाधन, भ्रष्टाचार आदि अनेक समस्याओं की जड़ बढ़ती जनसंख्या ही है। जिसके कारण राष्ट्रीय चरित्र को हानि, कार्यक्षमता एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।

इतिहास :

कोई समय था जब हमारे देश की जनसंख्या बहुत कम थी। अधिक पुत्र होना या अधिक भाई होना गर्व की बात थी। सात पुत्र वाली माँ को सम्मान की नज़र से देखा जाता था। परन्तु आज तो बढ़ती जनसंख्या हद पार कर चुकी है। संसार में चीन के बाद जनसंख्या में भारत दूसरे स्थान पर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग एक सौ बत्तीस करोड़ 1,32,0000,000 है।

बढ़ती जनसंख्या के कारण

अनपढ़ता :

भारत में अनपढ़ लोग बच्चे के जन्म को भगवान का उपहार समझते थे। इसी कारण उन्हें परिवार नियोजन के उपायों के बारे में जानकारी नहीं होती थी। इसलिए जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती रही।

लड़के की लालसा :

ऐसा भी देखने में आया है कि हमारे देश में लड़के की लालसा में अनपढ़ तो अनपढ़, पढ़े-लिखे माँ-बाप भी संतान बढ़ौतरी में चूकते नहीं थे। केवल लड़के की चाह में तब तक बच्चों को पैदा करते रहते थे जब तक बेटा पैदा न हो जाए। यह जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।

स्त्री को मनोरंजन का साधन समझना :

पुराने समय में स्त्रियों को पुरुष के मनोरंजन का साधन मात्र समझा जाता था। जो कि जनसंख्या बढ़ने का एक कारण रहा।

जनसंख्या बढ़ने के प्रभाव

1. मृत्युदर में कमी : विज्ञान के इस युग में दवाइयों से मानव शरीर को ठीक रखने और रोगों से बचाने के साथ ही खुराक की किस्म में भी काफ़ी सुधार हुआ है। मौत दर काफ़ी कम हो गई है। पुराने ज़माने में अगर किसी के दस बच्चे होते थे तो उनमें से कुछ ही जिंदा रह पाते थे। आजकल डॉक्टरी सहायता से मौत की दर बहुत कम हो गई है। यह भी जनसंख्या वृद्धि का सकारात्मक प्रभाव है।

2. घटते संसाधन : बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। किसान वैज्ञानिक ढग तथा परिश्रम के बल पर अधिक से अधिक अन्न भी उपजा रहे है। इतना सब होने पर भी बढ़ती-जनसंख्या के कारण समस्त कृषि संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं।

“लोग बढ़ गए, बेकारी बढ़ गई, घूसख़ोरी-बीमारी बढ़ गई।
देख घटते संसाधनों को, जनता में अराजकता बढ़ गई।
रोजगार न मिलने से युवा पीढ़ी में ओर मारामारी बढ़ गई।
बढ़ती जनसंख्या के कारण, समस्याओं की गिणती बढ़ गई।”

3. गरीबी : जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को अपनी प्राथमिक आवश्यकताएँ पूरा करने में कठिनाई होती है। आज देश में करोड़ों लोगों को पेटभर भोजन, पीने को स्वच्छ जल, तन ढकने को वस्त्र और रहने के लिए छत भी नसीब नहीं होती। आज सड़कों पर अधनंगे बच्चे, पेटपालने के लिए भीख माँगते लोग, सड़कों पर सोकर जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति इसकी आम उदाहरण हैं।

4. बेरोजगारी : बढ़ती जनसंख्या से बेरोजगारी बढ़ती है। आज के ज़माने में एक पद की नियुक्ति के लिए लाखों प्रार्थी आवेदन करते हैं। अपनी योग्यता से कम पदभार संभालने के लिए तैयार हो जाते हैं। बढ़ती बेरोजगारी ने शिक्षित वर्ग के भविष्य को अधर कुएँ में डाल दिया है।

5. भ्रष्टाचार : जब एक-एक पद के लिए लाखों आवेदन आते हैं। | तो पद प्राप्ति के लिए लोग घूस देने को भी तैयार हो जाते हैं। कई कार्यालयों में काम निकलवाने के लिए घूस के साथ-साथ सिफ़ारिश का भी चलन है।

6. महँगाई : भारत में बढ़ती हुई महँगाई भी इसी का प्रभाव है। दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुएँ उपलब्ध न होने से महँगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या को घटाने के उपाय

छोटा परिवार-सुखी परिवार : इस समस्या का हल जल्दी से जल्दी निकालना बहुत जरूरी है। लोगों को यह समझना चाहिए कि वर्तमान युग में छोटा परिवार ही बहुत महानता रखता है। गर्भ निरोधक साधनों से बच्चों की संख्या कम की जा सकती है। परिवार नियोजन और परिवार-कल्याण कार्यक्रमों को सफ़ल बनाना होगा।

विवाह की आयु निर्धारित : विवाह छोटी आयु में न करना भी जनसंख्या के बढ़ने पर काबू पा सकता है। बाल विवाह और बहुविवाह प्रथाओं को रोकना होगा।

व्यवसायिक शिक्षा का प्रसार : भारत की इतनी जनसंख्या को अपने आप पर आश्रित करने के लिए लोगों को व्यवसायिक विषयों से जोड़कर शिक्षा देनी चाहिए ताकि वह अपने पैरों पर खड़े हो सकें। नौकरियों की तलाश में बेरोजगार होकर सरकार और समाज पर बोझ न बनें और जनसंख्या वृद्धि से होने वाली बेकारी की समस्या पर भी काबू पाया जा सके।

सामाजिक संस्थाओं का योगदान : सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरुक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केन्द्र खोले हैं। सामाजिक एवं स्वैच्छिक संस्थाएँ सराहनीय योगदान दे रही हैं।

‘बढ़ती जनसंख्या को घटाओ, देश को खुशहाल बनाओ।’

उपसंहार : जनसंख्या के बढ़ने के कारण विकासशील देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। इसी कारण गरीबी, बेरोजगारी, महँगाई, जीवन में रोजमर्रा की सामग्री न मिलना आदि समस्याएँ निरन्तर बढ़ी हैं। जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने के लिए प्रत्येक नागरिक को भी सरकार को सहयोग देना चाहिए, जिससे बढ़ती जनसंख्या की समस्या का समाधान हो सके किन्तु हमें रिश्तों का भी गला नहीं घोटना चाहिए। जनसंख्या वृद्धि दर एवं रिश्तों में सन्तुलन रखने के लिए बहु-विवाह प्रचलन तो अवश्य ही रोकने होंगे। फिर तो वे दिन दूर नहीं जब हम बढ़ती हुई जनसंख्या को सीमित करने में कामयाब होंगे।

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