Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी

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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

सपने वो नहीं जो नींद में देखे जाते है, सपने तो वो होते है जो आपकी नींद उड़ा दे। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने यह शब्द सिर्फ कहे नहीं थे बल्कि इन्हे जी कर दिखाया था। दुनिया को इसका मतलब और मकसद समझाया था। इन्हीं सपनो ने उन्हें अखबार बेचने वाले से मिसाइल मैन और देश का राष्ट्रपति तक बना दिया। 15 अक्टूबर 1931, धनुष्कोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु – भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म इसी छोटे से गांव में हुआ। बेहद ही गरीब परिवार में जन्मे कलाम घर में सात बहन भाइयों में से सबसे छोटे थे। कलाम के पिता जैनुलाब्दीन पेशे से नाविक थे और रामेश्वरम में आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नाव किराए पर देते थे। लेकिन एक चक्रवात के पिता की नाव भी टूट गई। कलाम उस वक़्त 10 साल के हो चुके थे। कलाम को पढ़ने लिख़ने का बहुत शौक था। पढ़ने की चाहत इतनी थी कि सुबह 4:00 बजे नहा कर गणित की ट्यूशन पढ़ने चले जाते। 4:00 बजे नहाने की वजह यह थी कि गणित के टीचर उनकी शिक्षकों को फ्री ट्यूशन पढ़ाते थे, जो सुबह 4:00 बजे नहाकर पढ़ने आते थे।

ट्यूशन खत्म कर 5 बजे कलाम 3 किलोमीटर दूर धनुषकोडी रेलवे स्टेशन जाते थे, वहां से अखबार ला आते और घूम घूम कर बेचते। उसके बाद वह स्कूल जाते और शाम को घर लौट आते। कलाम ने थकान को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। डॉक्टर कलाम का सपना इंडियन एयरफोर्स मे पायलट बनने का था, लेकिन किस्मत ने उन्हें यहां दगा दे दिया क्योंकि भर्ती सिर्फ 8 लोगों की होनी थी और उनका स्थान नौवें नंबर पर आया। उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया लेकिन इस नाकामी के बाद उनका जोश दो-गुना हो गया।

1960 में डॉक्टर कलाम दिल्ली गए और वहां रक्षा मंत्रालय के डी आर डी ओ (DRDO) मे सीनियर साइंटिस्ट का पद संभाला। यहां पर उन्होंने आर्मी के लिए छोटा सा हेलीकॉप्टर डिजाइन किया और सुपर-सोनिक लक्षभेदी विमान का डिजाइन तैयार किया। 1969 में इसरो (ISRO) ने उन्हें देश के पहले सैटेलाइट लॉन्चिंग विकल के डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया। इसरो इस वक्त नया-नया ही बना था। अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक रॉकेट और इक्विपमेंट साइकल और बैलगाड़ी से लेकर जाते थे। संसाधनों की कमी कलाम के सपनों के आगे घुटने टेकती नजर आई।

1980 मे डॉक्टर कलाम ने देश के पहले उपग्रह रोहिणी को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया। इस कामयाबी से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बहुत प्रभावित हुई। उन्ही कि सलाह पर डॉक्टर कलाम ने एडवांस गाइडेड मिसाइल्स पर काम करना शुरू किया। कहा जाता है कि कैबिनेट ने उस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी थी। लेकिन इंदिरा गाँधी ने इस प्रोजेक्ट के लिए सीक्रेट फंड का इंतजाम किया। आज की नाग, ब्रह्मोस, आकाश, पृथ्वी, अग्नि जैसी मिसाइल्स इसी बुनियाद पर पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 11 मई और 13 मई को तमाम बंदिशों और अमेरिका जैसे देशों के जासूसी सैटेलाइट्स की निगरानी के बावजूद, डॉक्टर कलाम और प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके, भारत को दुनिया के उन गिने-चुने देशों में लाकर खड़ा कर दिया जो परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र थे। डॉक्टर कलाम प्रधानमंत्री वाजपेई के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार थे। प्रधानमंत्री वाजपेई ने डॉक्टर कलाम को मंत्री बनने का ऑफर दिया, लेकिन डॉक्टर कलाम का सपना भारत को परमाणु शक्ति के आदुनिक पहलुओं से लेस करने का था, इसलिए उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। डॉक्टर कलाम मार्च 1998 में प्रधानमंत्री वाजपेयी से मिले और न्यूक्लिअर मिसाइल प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी ली और उसी मुलाकात में परमाणु परीक्षण को हरी झंडी मिल गई। इस प्रोजेक्ट का नाम दिया गया ऑपरेशन “शक्ति”। डॉक्टर कलाम का कोड नाम मेजर पृथ्वी राज रखा गया। जासूसी सेटेलाइट से बचने के लिए डॉक्टर कलाम अपनी टीम के साथ रात में काम किया करते थे। पोखरण पर आने जाने के लिए वह अलग-अलग रास्तों का इस्तेमाल करते। परीक्षण से पहले अमेरिकी सैटेलाइट्स को गुमराह करने के लिए पोखरण से दूर किसी अलग जगह पर सेना की गतिविधियां बढ़ा दी गई थी, ताकि जासूसी सैटेलाइट्स का ध्यान उस तरफ चला जाये।

11 मई को पहला परमाणु परीक्षण और 13 मई को 3 और परमाणु विस्फोट कर कलाम पूरे हिंदुस्तान की परमाणु शक्ति के नायक बन चुके थे। सन 2002 में NDA ने डॉक्टर कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया। हिंदुस्तान की सामरिक ताकत और अंतरिक्ष में अग्नि की उड़ान के नायक एपीजे अब्दुल कलाम जब 25 जुलाई 2002 को देश के राष्ट्रपति बने, तो हर तरफ यही चर्चा थी कि कैसे अखबार बांटने वाला लड़का, जो फाइटर पायलट बनने आया था, जो स्पेस साइंटिस्ट बन गया, जो आज हिंदुस्तान का ग्यारवा राष्ट्रपति बन चुका है। राष्ट्रपति बनने के बाद डॉक्टर कलाम ने अपनी सारी बचत और वेतन चैरिटी मे दान कर दिया। उन्होंने कहा अब मे इस देश का राष्ट्रपति हूं और भारत सरकार मेरे जीवित रहने तक मेरा ख्याल रखेगी, तो मैं अब मेरे वेतन और बचत का क्या करूंगा। बारिश से बचने के लिए सभी पक्षी बसेरा ढूंढ़ते है, लेकिन बाज बारिश से बचने के लिए बादलों के ऊपर उड़ता है। डॉक्टर कलाम के सपनों की उड़ान भी कुछ ऐसी ही थी। डॉक्टर कलाम हमेशा से ये कहते थे कि आप जैसे सपने देखते हैं, एक दिन आप वैसे ही बन जाते हैं। तो चाहे कुछ भी हो जाए, एक बात का हमेशा ध्यान रखिए कि कभी भी अपने सपनों को मरने मत दीजिए। सपने देखते रहिए और उन्हें पूरा करने के लिए अपनी जी-जान से जुट जाइए।

About APJ Abdul Kalam in Hindi

बच्चो! आप सब सपने तो ज़रूर देखते होंगे। किसी का सपना डॉक्टर बनने का होगा, तो किसी का टीचर। पर उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करनी भी बहुत जरूरी है। एक सपना महान् वैज्ञानिक डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम ने भी देखा है और वे उसे पूरा करने की भरपूर कोशिश भी की। जानते हैं, उनका सपना है कि हमारे देश हिंदुस्तान की ज्यादा से ज्यादा तरक्की हो।

वे अकसर बच्चों से अपने इस सपने की बात करते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि उनका यह सपना आपकी मदद से ही पूरा हो सकता है। उनकी खास बात यह है कि देश के प्रमुख वैज्ञानिक होने के साथ ही ऐसे अकेले वैज्ञानिक भी हैं, जो भारत के राष्ट्रपति भी रहे हैं। वे हमारे देश के 11वें राष्ट्रपति थे। हालाँकि वे खुद को सबसे पहले, एक वैज्ञानिक ही मानते हैं। उनकी देखरेख में भारत की दुश्मनों से रक्षा के लिए कई मिसाइलें बनीं, इसलिए उन्हें ‘मिसाइलमैन’ भी कहते हैं। यूँ तो हम उन्हें डॉ० कलाम के नाम से पुकारते हैं, पर उनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है।

उनका जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम् में हुआ। उनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े-लिखे या धनवान नहीं थे। डॉ० कलाम ने तिरुचि के सेंट जोसेफ कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली और उसके बाद एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए। उन्होंने कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में खास भूमिका निभाई।

भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 को बनाने वाली परियोजना के डॉ० कलाम निदेशक थे। इसी यान से जुलाई, 1980 में रोहिणी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया था। 1982 में उन्होंने अपना सारा ध्यान गाइडेड मिसाइल के निर्माण पर लगाया। अग्नि और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण डॉ० कलाम की वजह से ही हुआ। उन्हें भारत सरकार का वैज्ञानिक सलाहकार भी बनाया गया। 1998 में उनकी देखरेख में भारत ने पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और अपना देश परमाणु संपन्न शक्तिशाली देशों में शामिल हुआ। देश की प्रगति के लिए। उन्हें ‘पद्मभूषण’, ‘पद्मविभूषण’ और ‘भारतरत्न’ जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया। वे आज भी देश की तरक्की के अपने सपने को पूरा करने में जुटे हुए हैं। उनकी आत्मकथा ‘विंग्स ऑफ फायर’ सभी को अपने सपने सच करने की प्रेरणा देती है।

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