Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai in Hindi Essay

Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai in Hindi Essay for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. एक और एक ग्यारह होते हैं पर निबंध।

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Ek Aur Ek Gyarah Hote Hai in Hindi Essay

विचार – बिंदु – • सूक्ति का आशय – समूह में अधिक बल होता है • सामूहिक कर्म से शक्तियाँ अनेक गुना हो जाती हैं। • एक व्यक्ति अकेला • अकेलेपन में कमजोरी, निराशा और उत्साहहीनता • साथी के मेल से उत्साह में वृद्धि, जीवन में खिलावट • सामूहिक कर्म बोझ नहीं, शौक बन जाता है।

गणितशास्त्र कहता है – एक और एक मिलकर दो होते हैं। भावनाओं की दुनिया विचित्र है। उसमें एक और एक ग्यारह होते हैं। आशय यह है कि सामूहिक बल में अत्यधिक शक्ति होती है। समूह में बल लगाने से शक्तियाँ जुड़ती ही नहीं, कई गुना बढ़ जाती हैं। मानव-जीवन का अध्ययन करें तो यह सत्य पग-पग पर घटित होता प्रतीत होता है। एक व्यक्ति अपने आप को अकेला पाता है।

अकेलेपन के कारण वह स्वयं को कमजोर अनुभव करता है। उसका मन लक्ष्य की ओर उत्साह से नहीं बढ़ता। परन्तु जैसे ही, उसे अपना मित्र-साथी मिलता है। उनके काम की गति बढ़ जाती है। जो हाथ पहले उत्साहहीन, शिथिल और गतिहीन थे, अब उनमें बिजली जैसी तोव्रता आ जाती है।) जो मन पहले मुरझाया-मुरझाया था, अब वह फूल की भाँति खिल उठता है। अब काम बोझ मानकर नहीं, बल्कि शौक मानकर किया जाता है। जब एक-एक करके अनेक ‘एक’ मिल जाते हैं, तब तो बिजलीघर जैसी शक्ति तैयार हो जाती है। यह तथ्य स्वयं में सत्य है कि एकता में बल है या संगठन में शक्ति है।

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