Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध

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Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi

मानव जीवन के लिए सांस लेना जितना आवश्यक और संतुलित भोजन करना आवश्यक है उतना ही आवश्यक मनोरंजन करना भी है। यही वजह है कि आरंभ से ही मनुष्य मनोरंजन के कई प्रकार के साधनों का आविष्कार करता चला रहा है। आरंभ में मनुष्य के खेल शिकार खेलना, तैराकी, घोड़ों और ऊंटों की दौड़ के रूप में होते थे। इसी प्रकार अन्य खेल जैसे कुश्ती लडना, कबड्डी खेलना, गिल्ली डंडा आदि अन्य खेल भी मनोरंजन के साधन रहे हैं। नृत्य करना अथवा देखना, गीत-संगीत गाना अथवा सुनना भी शुरू से ही मनोरंजन के साधन रहे हैं। कहने का अर्थ है कि मनुष्य शुरू से ही अपने मनोरंजन के लिए तरह-तरह के साधनों का प्रयोग और आविष्कार करता आ रहा है।

आज जिस तरह से जीवन के हर क्षेत्र में नई तकनीकों का अविष्कार हो गया है उसी तरह मनोरंजन के क्षेत्र में भी आज नई तकनीक और नये साधनों का विकास हो गया है। मनोरंजन के प्रमुख साधन हैं-कंप्यूटर, रेडियो, टी-वी, सिनेमा, पत्र-पत्रिकाएं, कई तरह के खेल, कई तरह के वाद्य यंत्र आदि; ये सभी साधन प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से आज मनोरंजन की उपयुक्त सामग्री जुटा पाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

सर्वप्रथम रेडियो के अविष्कार ने मानव जीवन के लिए एक क्रांतिकारी मनोरंजन के साधन के रूप में अपना स्थान बनाया। शुरू में तो यह कुछ संपन्न लोगों के पास ही सुलभ रहा लेकिन जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई इसकी पैठ घर-घर तक हो गई। आज रेडियो की स्थिति यह है कि यह मनुष्य के जेब में रहकर जहाँ चाहे वहाँ उसके लिए मनोरंजन के साधन प्रस्तुत कर देता है। सिनेमा के अविष्कार ने मनोरंजन को और अधिक विस्तार दिया। प्रारंभ में जहां केवल श्वेत-श्याम फिल्में बनती थी इस समय रंगीन फिल्में बनने लगी हैं। लेकिन इस समय यह काफी खर्चाला भी हो गया है। सिनेमा द्वारा मनोरंजन पाने के लिए घर से चलकर कम या अधिक दूरी पर बने सिनेमाघरों में जाना पड़ता है। लेकिन टेलिविजन के आविष्कार ने कहीं आने-जाने की जहमत समाप्त कर दी है। व्यक्ति अपने घर में बैठकर या लेटकर चाय की चुस्कियां लेते हुए बड़े ही आनंद से मनोरंजन ले सकता है।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उपरोक्त उपकरणों को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। वे पत्र-पत्रिकाएं और पुस्तकें पढ़कर ही मनोरंजन प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग मनोरंजन करने के साथ-साथ अपना ज्ञानवर्द्धन भी करते रहते हैं। अच्छी पत्र-पत्रिकाएं और साहित्यिक पुस्तकें मनोरंजन के साथ-साथ मानव जीवन और समाज के विकास में बहुत बड़ा योगदान देती हैं। पुस्तकों के माध्यम से विभिन्न देश की सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है। इसी प्रकार कुछ लोगों की रुचि खेल में होती है। खेल स्वस्थ मनोरंजन का अमूल्य खजाना है। आज कई तरह के खेल प्रचलन में है जिनमें प्रमुख हैं – हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, बालीबॉल, बॉस्केटबाल, शतरंज, बैडमिंटन, टेबल-टेनिस, जूडो-कराटे आदि। नाटक देखना भी बहुत लोगों के मनोरंजन में शामिल है। नाटक देखने के साथ-साथ उसमें अभिनय करना भी अच्छा मनोरंजन का साधन है। लेकिन आजकल फिल्मों के प्रचलन ने नाटक और थियेटरो पर जैसे रोक लगा दी है। लोग नाटक या थियेटर में जाने की अपेक्षा फिल्म देखना पसंद करते हैं। बड़े-बड़े शहरों में आजकल मल्टीप्लेक्स थियेटर हो गए हैं जिनमें हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

ऐसे भी लोगों की कमी नही है जिनके मनोरंजन के साधन ताश खेलना, जुआ खेलना, सामूहिक मद्यपान करना-इत्यादि है। किन्तु ऐसे लोगों को यह जानकारी नहीं है कि ऐसा करके वे अपना या देश-समाज का भला नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार के मनोरंजन को स्वस्थ मनोरंजन कदापि नहीं कहा जा सकता।

इस प्रकार मनोरंजन जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। मनोरंजन के साधन भी कई प्रकार के उपलब्ध हैं। आदमी अपनी रुचि, स्थिति और सुविधा के अनुसार किसी भी प्रकार के मनोरंजन के साधन का चयन कर सकता है। लेकिन यह मनोरंजन किसी को हानि पहुंचाने वाला न हो तथा मस्तिष्क और मन को शांति और सकून देने वाला होना चाहिए।

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