Globalization Essay In Hindi or (Globalisation) वैश्विकरण या पर निबंध

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Globalization Essay In Hindi

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

वैश्वीकरण एक अंग्रेजी का शब्द हैं जिसे हिंदी में भूमंडलीकरण भी कहा जाता है। वैश्विकरण, भूमंडलीकरण या ग्लोबलाइजेशन के प्रक्रिया में किसी भी व्यापर, तकनीक और अन्य सेवाओं को पूरे संसार के विश्व बाजार में विस्तार करना है। किसी एक देश का दूसरे देशो के साथ किसी वस्तु, सेवा, पूंजी, विचार, बौद्धिक सम्पदा का अप्रतिबंधित लेन-देन को वैश्विकरण, भूमंडलीकरण या ग्लोबलाइजेशन कहा जाता है। जिस के तहत किसी भी देश की वास्तु, सेवा, पूंजी अदि बिना किसी रोक टोक के आवाजाही हो।

ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत – जब यूरोपीय देशों में करीब 16 वी शताब्दी में सम्राज्यवाद की शुरुआत हुई, ढीक उसी वक़्त से ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत भी हो गयी थी। इतिहास में अगर इसे अपनाने की बात करे तो लगभग सभी देशो ने इसकी 1950-60 के दशक से शुरुआत की। मुख्य कारन था दूसरा विश्व युद्ध, जिसके बाद सभी देशो के राजनितिज्ञो और अर्थशास्त्रियो ने वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के महत्व को समझा।

ग्लोबलाइजेशन का प्रभाव – वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन व्यवसाय और कारोबार के ऊपर बहुत प्रभाव डालता है। ग्लोबलाइजेशन से पड़ने वाले इन प्रभावों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है – बाजार वैश्विकरण या उत्पादन वैश्विकरण। बाजार वैश्विकरण के अंदर अपने देश के बने हुए उद्पादो को कम् कीमत पर दूरसे देशो में बेचा जाता है और उत्पादन वैश्विकरण के अंदर उन्ही उद्पादो को अपने ही देश में अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

ग्लोबलाइजेशन के लाभ – व्यापार प्रणाली में ग्लोबलाइजेशन ने एक नई जान दाल दी है, जिसके बहुत सरे लाभ है। वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के बाद ही विश्व की विभिन्न कंपनियों ने दूसरे देशो में अपनी जगह बनाई। नए उद्धयोगो की स्थापना के वजह से रोज़गार में वृद्धि हुई। ग्लोबलाइजेशन की वजह से कई देशों की जीडीपी, राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति,निर्यात, साक्षरता और जन्म मृत्यु दर में सुधर देखा गया।

वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है जिसमे विश्व की राजनीति नए सिरे से संचालित होने लगी है। पहले इसे सामान्य लोग सिर्फ आर्थिक रूप से ही देखते थे किन्तु आज इसका राजनीतिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है।

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