Rain Water Harvesting Essay in Hindi वर्षा जल संचयन पर निबंध

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Rain Water Harvesting Essay in Hindi

वर्षा जल संचयन पर निबंध

वर्षा का पानी घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए बहुत ही अच्छा स्रोत है। बारिश स्वागत योग्य दृष्टि है जो भविष्य में जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वर्षा जल संचयन ऐसी तकनीक है जिसमे बारिश के पानी को बचाकर रखना और इकट्ठा करके भविष्य में कृषि आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सही मायनो मे पानी के संग्रहण का मुख्य उद्देश्य भविष्य में उपयोग के लिये सतह के जल को इकट्ठा करना और भूमि जल का पुनर्भरण करना है। वर्षा जल संचयन वर्षा जल के फँसाने और भंडारण को संदर्भित करता है ताकि जब कभी भी भविष्य में जरूरत पड़े तो पानी का सही इस्तेमाल किया जा सके।

इस कार्य को पूरा करने के लिए अलग-अलग बहुत तरीके है। छत के ऊपर या जमीन से, जहा भी बारिश होती है वहाँ तालाब, झील आदि मानव निर्मित या किसी प्राकृतिक संसाधनों से पानी को इकठा किया जाता है। वर्षा जल संचयन के फायदे कुछ इस प्रकार है – ये पानी की आपूर्ति बिल खासतौर से संस्थानों के बिलों में कमी लाता है, ये सार्वजनिक जल आपूर्ति स्रोतों की चिंता को कम कर सकता है, ये बाढ़ को नियंत्रण करता है, ये भूमि जलस्तर को गिरने से बचाने में बड़ी भूमिका निभाता है, ये कम पानी वाले क्षेत्रों में आसान और कम कीमत की जल आपूर्ति उपलब्ध कराता है, ये मिट्टी के कटाव में कमी लाने में मदद करता है और आदि बहुत सारे सिर्फ फायदे ही फायदे है।

भारत के तमिलनाडु राज्य मे बढ़ती जरुरत और बाढ़ के कारन बारिश के पानी को इकट्ठा करना जरुरी बन गया है। 30 मई 2014 को तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा इस योजना की घोषणा की गयी जिसके तहत लगभग 50,000 ढांचों की स्थापना करनी है। तमिलनाडु के मदिरो में वर्षा जल संग्रहण के लाइट आजतक लगभग 4000 टैंक है, जिससे बहुत फायदा मिल रहा है।

वर्षा जल संचयन एक ऐसी तकनीक या अभ्यास है जो लंबे समय तक रहा है। बदलते समय के साथ साथ इसके तरीके और उपयोग को बेहतर तरीके से विकसित किया जाता आ रहा है।

वर्षा के बिना जीवन कैसा होता ? इस बारे अपने विचार बताइए

यदि वर्षा नहीं होती तो प्रकृति की छ:ऋतुओं में इसकी गणना नहीं होती। वर्षा ऋतु के अभाव की स्थिति में हमें निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

  1. सबसे गम्भीर सूखे की समस्या स्थायी रूप धारण कर लेगी। सूखे की स्थिति में कोई देश या व्यक्ति विकसित नहीं होता। पीने के पानी की कमी के कारण सामान्य लोगों का जीवन दूभर हो जाएगा, क्योंकि पानी मानव के लिए ऐसा घटक है जिसकी पूर्ति न होने पर उसका जीवन कष्टदायक हो जाएगा।
  2. पृथ्वी एक विशाल रेगिस्तान बन जाएगी। वर्षा की समाप्ति पर हरे-भरे खेत, वन, उपवन इत्यादि सब सूखे प्रतीत होने लगेंगे। भूमि बंजर बन जाएगी।
  3. समस्त फल-फूल, पत्ते तथा ईंधन विश्व से गायब हो जाएंगे, जिन पर मनुष्य का जीवन आधारित है।
  4. इसका पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। पौधे और वृक्ष हमें शुद्ध वायु देते हैं और कार्बन डाई-आक्साइड को लेकर आक्सीजन हमें देते हैं। इसके अभाव से पर्यावरण प्रदूषण फैलेगा।
  5. वर्षा की कमी से कारण अकाल, दुर्भिक्ष जैसे संकट पैदा होंगे। जिससे निपटने के लिए मानवीय शक्ति की हानि होगी, यह एक प्रकार का प्राकृतिक प्रकोप है।
  6. वर्षा हमारी प्राकृतिक सम्पदा है और प्रकृति की दी हुई प्रत्येक वस्तु के साथ मनुष्य का गहरा सम्बन्ध है अत: ऐसी स्थिति पैदा होने पर मानवीय समाज का पनपना अत्यन्त दुर्लभ हो जाएगा।

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