Essay on Kashmir in Hindi कश्मीर पर निबंध

Essay on Kashmir in Hindi language. कश्मीर पर निबंध Read Kashmir essay in Hindi language. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए कश्मीर पर निबंध। Essay on Kashmir in Hindi for students. Learn an essay on Kashmir in Hindi to score well in your exams.

hindiinhindi Essay on Kashmir in Hindi

Essay on Kashmir in Hindi 300 Words

सैर-सपाटे के शौकीन हर व्यक्ति की यह दिली ख्वाहिश होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार कश्मीर जरूर जाए। कश्मीर को धरती का स्वर्ग जो कहते हैं। माना जाता है कि इसका असली नाम कश्यपमर यानी कछुओं की झील था। इसी से बाद में यह कश्मीर नाम से जाना जाने लगा। कल्हण की राजतरंगिणी में कश्मीर का विस्तृत उल्लेख मिलता है।

यहाँ के बर्फीले मौसम को देखते हुए सर्दी और गर्मी के मौसम में क्रमशः श्रीनगर और जम्मू को यहाँ की राजधानी बनाते हैं। श्रीनगर और उसके आसपास के क्षेत्र पर्यटन के लिहाज़ से बहुत खूबसूरत हैं। डल झील यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। सैलानी घंटों इसके किनारे घूमते हैं या शिकारे में बैठकर नौका विहार का आनंद लेते हैं। तैरते आवास यानी हाउसबोट, तैरते बाजार और तैरते वेजीटेबल गार्डन इसकी खासियत हैं। कुछ दूर अनंतनाग जिले में अमरनाथ गुफा है, जहाँ हजारों की संख्या में तीर्थयात्री जाते हैं। मुस्लिम सूफी संत शेख नूरुद्दीन वली की दरगाह चरार-ए-शरीफ भी श्रीनगर से ज्यादा दूर नहीं है। मुगल बादशाह कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने यहाँ बहुत-से उद्यान बनवाए, जिन्हें मुगल उद्यान कहा जाता है। उन्हें देखे बिना श्रीनगर की यात्रा अधूरी है। शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया चश्म-ए-शाही इनमें सबसे छोटा है। निशात बाग 1633 में नूरजहाँ के भाई ने और शालीमार बाग जहाँगीर ने अपनी बेगम नूरजहाँ के लिए बनवाया था। इन बगीचों में चनार के अलावा और भी कई छायादार पेड़ हैं। रंग-बिरंगे फूलों और झरनों वाले ये बगीचे अलग ही सुकून देते हैं।

श्रीनगर के अलावा अधिकतर सैलानी गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम भी जाना पसंद करते हैं। गुलमर्ग का अर्थ है – फूलों का मैदान। नाम से ही इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहाँ विश्व का सबसे ऊँचा गोल्फकोर्स है। सर्दियों में जब यहाँ बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है, तब स्कीइंग के शौकीन लोग उसका भरपूर आनंद उठाते हैं। सोनमर्ग भी बेहद खूबसूरत है। सिंध नदी के दोनों ओर फैले यहाँ के मैदान सोने जैसे चमकते हैं, इसलिए इसे सोनमर्ग कहा जाता है। अमरनाथ यात्रा का एक रास्ता सोनमर्ग से बालटाल होकर भी जाता है। एक बार जो कश्मीर चला जाता है, वो वहाँ की यादें उम्रभर सँजोकर रखना चाहता है।

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Essay on Kashmir in Hindi 500 Words

कश्मीर हमारे देश के उत्तर में स्थित राज्य है। यह झीलों, बागों और झरनों का प्रदेश है। प्राकृतिक रूप से यह इतना खूबसूरत है कि इसे भारतमाता का मुकुट कहा जाता है। मुगल बादशाह जहाँगीर की रानी नूरजहाँ ने तो यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर कहा कि धरती पर यदि स्वर्ग है तो यहीं है।

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। यह नगर झेलम नदी के दोनों तटों पर बसा हैं। झेलम नदी को पार करने के लिए नौ पुल बने हैं, नदी के दोनों ओर हाउसबोटों की पंक्तियाँ दूर-दूर तक दिखाई देती हैं। हाउसबोट पानी पर तैरता हुआ मकान होता है जिसमें बैठक, सोने का कमरा, खाना खाने का कमरा और नहाने का कमरा होता है। बाहर से आने वाले बहुत-से लोग हाउसबोटों में रहते हैं। रात के समय हाउसबोटों में सैकड़ों बत्तियाँ जलती रहती हैं। नदी की लहरों में इनकी जगमग-जगमग करती परछाइयाँ मन को मुग्ध कर देती हैं।

हाउसबोटों में सैकड़ों बत्तियाँ जलती रहती हैं। नदी की लहरों में इनकी जगमग-जगमग करती परछाइयाँ मन को मुग्ध कर देती हैं।

श्रीनगर घाटी में बसा शहर है। इसके चारों ओर दूर-दूर तक पहाड़ फैले हुए हैं। यहाँ शंकराचार्य नाम की एक पहाड़ी है, जहाँ से नगर का दृश्य बड़ा सुहावना लगता है। शंकराचार्य पहाड़ी पर शंकराचार्य मंदिर है जिसमें शिव भगवान का विशाल लिंग स्थापित है। श्रद्धालु भक्त बड़ी श्रद्धा व विश्वास के साथ नंगे पैर इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। श्रीनगर में डल नामक प्रसिद्ध झील है। यह कश्मीर की सबसे सुन्दर झील है। इसमें खिले हए कमल के फूल बहत ही मनोहर लगते हैं। डल झील में शिकारे चलते हैं। जिनमें बैठकर यात्री झील का आनंद उठाते हैं। डल झील के बीचोबीच नेहरू पार्क है जिसमें रेस्टोरेंट भी है। यहाँ लोग अपना मनचाहा भोजन खाते हैं।

डल झील में चार चिनार नामक टापू पर चार वृक्ष हैं। ये वृक्ष डल झील की सुंदरता को दुगुना कर देते हैं।

डल झील के पास ही निशांत और शालीमार नामक दो सुंदर बाग हैं। ये बाग जहाँगीर द्वारा लगवाए गए थे। ये बाग अपनी नैसर्गिक सुंदरता से लोगों का मन मोह लेते हैं। इनमें झर-झर बहते हुए सीढ़ियोंदार झरनों और फव्वारों की शोभा देखते ही बनती है। इनमें चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, मखमली घास और रंग-बिरंगे फूल हैं। | कश्मीर में पहलगाँव, सोनबर्ग, चश्माशाही, गुलमोहर पार्क आदि दर्शनीय स्थल भी हैं जो अपनी सुंदरता से लोगों के मन को लुभाते हैं। पहलगाँव में नदी का कल-कल स्वर संगीत के समान कानों को बहुत भाता है। यहाँ कश्मीरी कारीगरी का बहुत अच्छा सामान मिलता है। यात्री ट्राली में बैठकर गुलमोहर पार्क में पहाड़ के ऊपर जाते हैं और पहाड़ों का नजारा देखकर प्रसन्न होते हैं। सर्दियों में जब गुलमर्ग पार्क में बर्फ जम जाती है तब लोग यहाँ स्केटिंग का आनंद भी उठाते हैं।

कश्मीर ठंडा प्रदेश है। यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है। जाड़े से बचने के लिए हर आदमी अपने हाथ में एक विशेष प्रकार की अँगीठी लेकर चलता है जिसे ‘कांगड़ी’ कहते हैं।

पहलगाँव और गुलमर्ग से ही अमरनाथ गुफ़ा जाने का रास्ता है। देश के कोने-कोने से लोग अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं। यहाँ का रास्ता बर्फ से ढके हुए ऊँचे पहाड़ों से होकर जाता है।

कश्मीर में अखरोट, खूबानी, सेब, बादाम, चैरी आदि फलों से लदे पेड़ दिखाई देते हैं। यहाँ केसर की खेती भी होती है जिसकी सुगंध से घाटी महकती रहती है। कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहना उचित ही है।

Essay on Kashmir in Hindi 500 Words

कश्मीर समस्या

कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है; लेकिन मुस्लिम जनसंख्या की प्रधानता होने को आधार मानकर पाकिस्तान इसे अपने साथ मिलाना चाहता हैं। कश्मीर पर अधिकार करने के इरादे से पाकिस्तान ने 1948 में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। परंतु भारत के अन्य राज्यों के शासकों की भाँति कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने भारत का पक्ष स्वीकार किया। कश्मीर घाटी की रक्षा के लिए भारतीय सेनाएं बड़ी बहादुरी से लड़ीं और पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए बाध्य होना पड़ा। परिणामस्वरूप, यथापूर्व स्थिति के अनुसार कश्मीर के पश्चिमी और उत्तरी भागों पर पाकिस्तान का अवैधानिक नियंत्रण कायम रहा। पाकिस्तान द्वारा असंवैधनिक रूप से अधिकृत कश्मीर का क्षेत्रफल लगभग तीन लाख वर्ग किमी। है।

सन् 1965 में, पाकिस्तान ने भारत पर दुबारा आक्रमण कर दिया। लेकिन भारतीय सेनाओं ने बड़ी बहादुरी से इस चुनौती का सामना किया और अंतत: पाकिस्तान बुरी तरह परजित हुआ। जिसके फलस्वरूप पाकिस्तान को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य होना पड़ा। ताशकंद समझौते के अनुसार, दोनों देश कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्वक हल करने पर सहमत हुए। लेकिन 1971 में, पाकिस्तान ने पुन: भारत पर आकर्मण कर दिया और इस प्रकार दोनों देशों के बीच एक और युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में भी पाकिस्तान को पराजय का मुंह देखना पडा, और पाकिस्तान से अलग होकर बंग्लादेश एक सवतंत्र गणराज्य के रूप में उभरकर सामने आया। युद्ध की समाप्ति के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अनुसार कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा हल किया जाना चाहिए। समझौते में कश्मीर समस्या से संबंधित मामले को निपटाने में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकर नहीं किया गया है।

लेकिन दुर्भाग्य, पाकिस्तान किसी भी समझौते की कोई बात न मानते हुए कश्मीर मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की फिराक में ही रहा है। कश्मीर घाटी में पाकिस्तान–प्रायोजित आतंकवाद, हिंसा एवं उग्रवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को बदतर बनाया है। वास्तव में पाकिस्तान की इस प्रकार की गतिविधियों ने भारत और पाकिस्तान की बीच गहरी खाई का निर्माण किया है।

अंतर्राष्ट्रीय मानदण्डों एवं ऐतिहासिक तथ्यों को झुठलाता हुआ, पाकिस्तान कश्मीर मामले को विभाजन के समय का एक अपूर्ण एजेंडा बताता है और इसे प्राप्त करने के लिए वह कश्मीर में लगातार आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है। यद्यपि भारत की ओर से दोनों देशों के बीच के बिगड़े हुए संबंधों को सुधारने के कई बार प्रयास किए गए तथापि पाकिस्तान ने उसकी पहल को कभी गंभीरता से नहीं लिया, और न ही कभी ऐसे प्रयासों में दिलचस्पी ली। पिछले तीन युद्धों में करारी हार का मुँह देखने के बावजूद भी पाकिस्तान ने कभी इसके कारणों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि वह तो लगातार दोनों देशों के बीच तनाव को भारत के धैर्य की सीमा तक बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। आजादी एवं मुस्लिम भाई-चारे की दुहाई देता हुआ पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान की सीमा के साथ संलग्न होने और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने को आधार मानकर पाकिस्तान द्वारा कश्मीर की मांग कदापि तर्कसंगत नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि इस मामले में पाकिस्तान को पर्याप्त सैनिक सहायता का आश्वासन प्राप्त है।

इन परिस्थितियों में यह समस्या और भी जटिल हो गई है। वर्तमान परिस्थितियों से लगता है कि विभाजन के समय धर्म के आधार भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन उचित नहीं था।

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