Information about Kaveri River in Hindi

Read information about Kaveri River in Hindi language. कावेरी नदी की जानकारी हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए कावेरी नदी की जानकारी हिंदी में। History of Kaveri River in Hindi for students. Learn more about the History of Kaveri River in Hindi to score well in your exams.

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Information about Kaveri River in Hindi

कहते हैं, जल ही जीवन है। हमारे देश में अनेक नदियाँ बहती हैं जो अपने जल से हमें पालती-पोसती हैं। कावेरी भी ऐसी ही एक नदी है। यह भारतीय प्रायद्वीप की पाँच मख्य नदियों में सबसे छोटी है। यह कर्नाटक में ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलती है और पूर्व मैसूर राज्य को सींचती हुई दक्षिण पूर्व की ओर बढ़ती है। यह तमिलनाडु से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। उद्गगम स्थल से लेकर खाड़ी तक कावेरी की लंबाई 772 किलोमीटर है। इस लंबी यात्रा में कावेरी कई बार अपना रूप बदलती है। कहीं वह जल की पतली धारा जैसी दिखाई देती है, तो कहीं समुद्र जैसी विशाल। बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले उससे कई शाखाएँ निकलकर अलग-अलग नामों से अलग-अलग नदियों के रूप में बहती हैं। जब यह ब्रह्मगिरि पर्वत से निकलकर मैदानी हिस्से तक आती है, तब कनक और गजोती नाम की दो छोटी नदियों में बँट जाती है। आगे जाकर हेमवती और लक्ष्मण तीर्थम् से मिलकर यह एक बड़ी और गहरी नदी में बदल जाती है। कावेरी में मिलने वाली कई उपनदियों में कनका और हेमवती प्रमुख हैं। कनका से मिलने के बाद ही कावेरी को रूप और गति प्राप्त होती है। उससे पहले तो यह एक बहुत ही पतली जलधारा होती है, जिसे नदी के रूप में पहचानना भी कठिन होता है।

तमिल में कावेरी को काविरि भी कहते हैं। काविरि का अर्थ है, उपवनों का विस्तार करने वाली। कावेरी नदी अपने जल से बंजर भूमि को भी उपजाऊ बना देती है, इसलिए उसे काविरि, कहते हैं। कावेरी के योगदान से इस समय पूर्व मैसूर राज्य में सवा लाख हेक्टेयर भूमि पर धान और दूसरा अनाज पैदा होते हैं। यहाँ 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है। इसके अतिरिक्त, हजारों हेक्टेयर भूमि पर तरह-तरह के फल और साग-सब्ज़ियाँ पैदा की जाती हैं। कावेरी पर अब तक कई स्थानों पर बाँध बने हैं। उसकी नहरों से सींची जाने वाली भूमि का विस्तार करीब डेढ़ करोड़ हेक्टेयर है।

कावेरी पर बने बाँधों से अब बहुत बड़ी मात्रा में बिजली भी पैदा की जाती है, जिससे कर्नाटक के उद्योग-धंधे चलते हैं। इसी तरह तमिलनाडु में भी कावेरी के तट पर कई कल-कारखाने बने हैं। इस प्रकार दक्षिण कर्नाटक और तमिलनाडु के कावेरी बेसिन के, बहुत-से लोग अपनी आजीविका के लिए इसी पर निर्भर हैं। उद्गगम स्थल से लेकर बंगाल की खाड़ी में गिरने तक कावेरी के तट पर दर्जनों बड़े नगर और उपनगर बसे हैं। अनगिनत प्राचीन मंदिर हैं। इसके किनारे मैसूर के सबसे सुंदर बागों में से एक, वृंदावन बना है। जुलाई-अगस्त के महीने में लोग शुक्रिया अदा करने के लिए कावेरी की पूजा करते हैं। नदी पर मिट्टी के दीये जलाकर और फल-फूल और मिठाइयों का भोग लगाकर कावेरी मैया का शुक्रिया अदा करते हैं।

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