Door Ke dhol Suhavane in Hindi Essay

Door Ke dhol Suhavane in Hindi Essay. Now essay writing is an easy task. Read and take some examples from the essay to score well in your Hindi exam. दूर के ढोल सुहावने निबंध

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Door Ke dhol Suhavane in Hindi Essay

विचार – बिंदु – • सूक्ति का अर्थ • दूरी में आकर्षण • आपसी संबंधों का उदाहरण • वस्तुओं के न मिलने पर आकर्षण • प्राप्ति पर आकर्षण समाप्त।

इस कहावत का आशय है – ढोल दूर से ही सुहावने लगते हैं। नज़दीक आने पर वे कर्कश लगने लगते हैं। जो वस्तु हमारी पहुँच से बाहर होती है, वह हमें मनोरम प्रतीत होती है। हाथ में आने पर उसका आकर्षण वैसा नहीं प्रतीत होता। दूर से पहाड़ मनोरम जान पड़ते हैं। पास जाने पर वहाँ के कष्ट और टेढ़े-मेढ़े रास्ते दुखदायी प्रतीत होते हैं।

जब तक प्रेमी-प्रेमिका अविवाहित होते हैं, वे एक-दूसरे को बहुत चाहते हैं। दोनों एक-दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते हैं। परंतु विवाह के बाद उनमें वैसा आकर्षण नहीं रहता। इसका कारण यही है कि नज़दीक होने पर हमें सहानी वस्तुओं के दुख भी काटते रहते हैं। परंतु दूर रहने पर केवल उनका सुहाना रूप ही मन में रहता है। एक बात यह भी है कि वस्तु के न मिलने में जो रस है, वह उसके मिलने में नहीं है। तीसरे, कोई भी वस्तु पूरी तरह सुहानी नहीं होती। उसका दखदायी रूप भी होता है, जो तब तक सामने नहीं आता, जब तक वह वस्तु हमें मिल नहीं जाती। इन्हीं सब कारणों से हमें ढोल दूर से ही सुहावने लगते हैं।

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